नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने हिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा (Judge Justice Yashwant Verma) के तबादले का विरोध कर रहे वकीलों को आश्वासन दिया है कि कॉलेजियम (Collegium) उनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिश वापस लेने पर विचार करेगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने गुरुवार (27 मार्च, 2025) बताया कि CJI संजीव खन्ना ने बार नेताओं को उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है। दरअसल, विभिन्न उच्च न्यायालयों के छह बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने गुरुवार की दोपहर में CJI खन्ना और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों- जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ से मुलाकात की।
उच्चतम न्यायालय में हुई इस बैठक से बाहर आने के बाद तिवारी ने कहा कि उन्होंने (कॉलेजियम सदस्यों ने) बार निकायों के ज्ञापन पर विचार-विमर्श किया और उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन इस बात पर पुनर्विचार करेगा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखी जाए या नहीं। न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय में वापस भेजे जाने के प्रस्ताव के विरोध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।
ज्ञापन में बार निकायों ने पारदर्शिता अपनाने और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट तथा अन्य सामग्री को उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के लिए सीजेआई द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘बार एसोसिएशन प्रधान न्यायाधीश तथा कॉलेजियम से अनुरोध करते हैं कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का स्थानांतरण वापस लिया जाए तथा पहले से वापस लिये गए न्यायिक कार्य के अतिरिक्त सभी प्रशासनिक कार्य भी उनसे वापस लिये जाएं।’’
जस्टिस वर्मा पर आपराधिक कानून लागू करने का आग्रह
ज्ञापन में प्रधान न्यायाधीश से मामले में आपराधिक कानून लागू करने का आग्रह करते हुए दावा किया गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट के अनुसार, आग की घटना के एक दिन बाद ही किसी ने न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से सामान हटा दिया था। ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘इस तरह के अपराधों में अन्य लोगों की संलिप्तता होगी और एक प्राथमिकी दर्ज नहीं होने से उनके अभियोजन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’’
न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस इलाके में स्थित आवास में 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे आग लगने के बाद कथित तौर पर अधजली नकदी बरामद हुई थी। आग लगने की घटना के बाद दमकलकर्मी न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पहुंचे थे। विवाद के मद्देनजर, उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की सिफारिश की। प्रधान न्यायाधीश के निर्देश के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया था।
प्रधान न्यायाधीश ने 22 मार्च को आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए तीन-सदस्यीय एक समिति का गठन किया और घटना में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड करने का फैसला किया। न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों की निंदा की है और कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोररूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई थी।
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