उज्जैन। कभी ऐशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन प्लांट पिछले दो दशक से ऐशिया का सबसे बड़ा लावारिस स्थान बना हुआ था और इसके कायाकल्प के कई बार दावे किए गए..एक बार फिर सोयाबीन प्लांट की जमीन पर उद्योग शुरु होने की बात कही गई है लेकिन यह मात्र घोषणा या सच्चाई इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा।
सोयाबीन प्लांट की भूमि बेशकीमती है और यहाँ लगी करोड़ों की मशीनें बेकार हो चुकी है। कभी सेायाबीन प्लांट ऐशिया का सबसे बड़ा ऑयल फिल्टर सेंटर हुआ करता था और 1200 से अधिक यहाँ कर्मचारी अधिकारी थे लेकिन अधिकारियों एवं तिलहन संघ के हरामखोर नेताओं के कारण सोयाबीन प्लांट घाटे में डूब गया तथा इसे बंद करना पड़ा। पिछले 20 वर्षों से यहाँ सामान चोरी होता रहा है और यह स्थान लावारिस पड़ा रहा। अब फिर से इस जमीन पर उद्योग लगाने का दावे किए जा रहे हैं। पिछले दिनों केबिनेट मंत्री मोहन यादव ने उज्जैन में उद्योग स्थापना करने के लिए बैठक बुलाई थी जिसमें इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कार्पोरेशन के कार्यपालन यंत्री एस.के. जैन ने बताया कि सोयाबीन प्लांट की भूमि में से 15 एकड़ भूमि वेस्ट कार्पोरेशन को दी जा चुकी है जो कि वहाँ 80 करोड़ रुपए का निवेश करेगा और होजयरी व्यवसाय स्थापित होगा। दावा किया गया है कि इससे 4 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा लेकिन अमल में यह योजना कितनी आ पाएगी इसमें शंका है। उज्जैन में इस तरह की कई योजनाएँ कागज पर बनकर दम तोड़ती रहती है। इसीलिए यहाँ उद्योग तो बंद हुए लेकिन नए नहीं खुल पाए। फिलहाल तो सोयाबीन प्लांट की जमीन पिछले 20 वर्षों में खंडहर की तरह पड़ी हुई है।
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