नई दिल्ली। 2019 के चुनावी घोषणापत्र में बीजेपी ने तमाम वादे किए थे। जनता ने दूसरी बार केंद्र की सत्ता सौंपी तो उन वादों की डिलिवरी शुरू हुई। ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून, राम मंदिर, आर्टिकल 370 का खात्मा, नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे वादे 2019 के बाद पूरे किए गए। 2024 में अगले टेस्ट से पहले बाकी बचे वादों को पूरा करने की कवायद शुरू कर दी गई है। इनमें सबसे अहम है समान नागरिक संहिता यानी Common Civil Code, जिसपर अब गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि उसकी बारी आ गई है।
शुक्रवार को भोपाल में बीजेपी कार्यालय पर एक बैठक में अमित शाह ने कहा, ‘सीएए, राम मंदिर, आर्टिकल 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए हैं। अब बारी कॉमन सिविल कोड की है।’ शाह ने उत्तराखंड में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कॉमन सिविल कोड लागू किए जाने का भी जिक्र किया। शाह एमपी में थे तो रिएक्शन भी वहीं से आया। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा कि ‘यह सब राजनीति हमारे देश की संस्कृति के विपरीत है। जब यह आएगा तो देखेंगे।’
सिविल कोड के लिए समिति जल्द: धामी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द को किसी भी कीमत पर बाधित नहीं होने दिया जाएगा। धामी ने कहा कि उत्तराखंड में एक बार समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद, अन्य राज्यों को भी इसका पालन करना चाहिए।
सीएम ने कहा, ‘उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां शांति कायम है और इसे संरक्षित किया जाना है। देवभूमि होने के अलावा, उत्तराखंड सैन्य भूमि भी है।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने बड़ी संख्या में उत्तराखंड आने वाले लोगों के इतिहास को वेरिफाई करने के लिए एक अभियान चलाने की योजना बनाई है ताकि संदिग्ध शांति भंग करने में सफल न हों।
कॉमन सिविल कोड जरूरी : मौर्य
उत्तराखंड के बाद अब यूपी में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की चर्चा शुरू हो गई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सिविल कोड इस देश और यूपी के लिए जरूरी है और इस दिशा में राज्य सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। मौर्य ने कहा, ‘एक देश में एक कानून सबके लिए हो, इसकी जरूरत है। मैं समझता हूं कि अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग कानून की जरूरत नहीं है। जहां बीजेपी की सरकारें हैं, वहां भी और जहां गैर-बीजेपी सरकारें है वहां भी, अगर सबका साथ सबका विकास चाहिए तो कॉमन सिविल कोड जरूरी है और यह एक ऐसी चीज है जिसकी सबको मांग करनी चाहिए और सबको स्वागत करना चाहिए।’ मौर्य ने तंज किया, ‘हर जगह जब वोट बैंक की बात आएगी तो निश्चित तौर पर उसके सामने तुष्टिकरण की राजनीति दिखाई देती है लेकिन हम इसके पक्ष में नहीं हैं।’
दिल्ली HC ने भी कहा था, UCC को हकीकत में बदलने की जरूरत
दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि समान नागरिक संहिता (UCC) को हकीकत में बदलने की जरूरत है। कोर्ट ने तब कहा था कि आर्टिकल 44 में जिस समान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड की उम्मीद जताई गई है, अब उसे हकीकत में बदलना चाहिए, क्योंकि यह नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करेगा और अब यह मात्र आशा नहीं रहनी चाहिए।
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