जरूरी जमीन मिलने तक किसी कंपनी को नहीं देंगे ठेका
इंदौर। शहर के पश्चिमी क्षेत्र में बनने वाली रिंग रोड का निर्माण तब तक शुरू नहीं हो सकेगा, जब तक योजना के लिए जरूरी जमीन में से 80 प्रतिशत जमीन अधिगृहीत नहीं हो जाती। केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्रालय की नई नीति के अनुसार इतनी जमीन हाथ में आने के बाद ही किसी कंपनी को रिंग रोड के निर्माण का ठेका दिया जा सकेगा।
पहले नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) पूरी जमीन अधिगृहीत किए बगैर प्रोजेक्टों के काम कंपनियों को सौंप देती थी। हालांकि तब जमीनें देरी से मिलने की वजह से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ जाती थी और कंपनियों के लिए काम करना घाटे का सौदा बन जाता था। तब कंपनियां काम छोडक़र चली जाती थीं और प्रोजेक्ट उलझ जाते थे। इसी पेंच को दूर करने के लिए तय किया गया है कि एनएचएआई किसी काम के लिए टेंडर तो बुला सकेगी, लेकिन उसका काम तभी कंपनियों को सौंप सकेगी, जब प्रोजेक्ट की ज्यादातर जमीन उसके कब्जे में आ जाएगी। इंदौर में बनने वाली पश्चिमी रिंग रोड के लिए लगभग 648 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। 139 किलोमीटर लंबी रोड बनाने के लिए 32-32 किलोमीटर के दो पैकेज में करीब 2000 करोड़ रुपए के टेंडर कंपनियों से बुलाए गए हैं। ठेका सौंपने के बाद दो साल में सडक़ बनाकर तैयार करने का लक्ष्य है।
जमीन लेने के लिए जनवरी में होने वाला है दूसरा नोटिफिकेशन
एनएचएआई के रीजनल ऑफिसर (एमपी) श्रवणकुमार सिंह ने अग्निबाण को बताया कि इंदौर की पश्चिमी रिंग रोड का काम तभी कंपनियों को सौंपा जाएगा, जब 80 प्रतिशत जमीन मिल जाएगी। बची जमीन निर्माण के दौरान मिल सकती है। जमीन अधिग्रहण के लिए दूसरा नोटिफिकेशन जनवरी में होने वाला है।
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