दो या तीन हिस्सों में बांटकर एक साथ बनाएंगे रोड
इंदौर। शहर (City) की नई ग्रेटर रिंग रोड प्रोजेक्ट (Ring Road Project) का सबसे पहले पश्चिमी हिस्सा बनाने का फैसला सैद्धांतिक रूप से हो चुका है। यह भी तय किया गया है कि 60-70 किलोमीटर लंबी पश्चिमी रिंग रोड का काम अलग-अलग पैकेज में किया जाए। माना जा रहा है कि प्रस्तावित सडक़ को दो या तीन हिस्सों में बांटकर उसके निर्माण का ठेका अलग-अलग कंपनियों (Company) को दिया जाएगा। इससे सडक़ निर्माण जल्दी पूरा हो सकेगा।
पश्चिमी क्षेत्र की रिंग रोड के निर्माण में 2500 से 3000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सडक़ की चौड़ाई सिक्स लेन रखने का प्रस्ताव है। फिलहाल औपचारिक मंजूरी के लिए अगला कदम नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय को उठाना है। इधर, प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट द्वारा शिप्रा से पीथमपुर स्थित नेट्रिप (नेशनल आटो टेस्टिंग ट्रैक) के आगे तक बनने वाली रोड के लिए पत्थर लगाकर ड्रोन सर्वे की तैयारी हो रही है।
अभी बहुत कुछ होना है तय
– अभी रोड का अलाइनमेंट और चौड़ाई तय नहीं है, इसलिए सटीक रूप से यह साफ नहीं है कि सडक़ के लिए किस गांव की कितनी जमीन ली जाना है।
– यह भी स्पष्ट होना है कि किसानों और जमीन स्वामियों से सरकार किस फॉर्मूले के तहत जमीन लेगी। मसलन, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा, दिया जाएगा तो कितना या फिर वैकल्पिक भूखंड दिए जाएंगे।
– इंदौर की पश्चिमी रिंग रोड के लिए राज्य सरकार 25 प्रतिशत जमीन मुफ्त देने का प्रस्ताव केंद्र को भेज चुकी है। प्रोजेक्ट में एनएचएआई के अलावा इंदौर विकास प्राधिकरण और मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को भी शामिल किया गया है। हालांकि, यह अभी भी पूरी तरह साफ नहीं है कि इन दोनों विभागों की प्रोजेक्ट में क्या भूमिका रहेगी।
– टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को भी अब तक पश्चिमी रिंग रोड को लेकर किसी तरह की अधिकृत जानकारियां नहीं मिली हैं, इसलिए यह विभाग भी इसे लेकर ज्यादा कुछ बताने की स्थिति में नहीं है।
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