इंदौर (Indore)। शहर के प्रस्तावित ग्रेटर रिंग रोड को लेकर सरगर्मी शुरू हो गई है। पहले चरण में रिंग रोड का पश्चिमी हिस्सा बनाने की तैयारी है। यह 65 से 70 किलोमीटर लंबा होगा। इसकी चौड़ाई सेंटर लाइन से दोनों तरफ 60 से 80 मीटर होगी। सडक़ निर्माण के लिए शुरुआती रूप से लगभग 500 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी। पश्चिमी रिंग रोड के निर्माण पर 2500 से 3000 करोड़ रुपए का खर्च अनुमानित है।
पश्चिमी रिंग रोड शिप्रा से पीथमपुर के पास स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक के आगे तक बनाई जाना है। हालांकि अभी नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) से ग्रेटर रिंग रोड का फाइनल एप्रूवल नहीं आया है, लेकिन मुख्यालय स्तर से पश्चिमी हिस्से का निर्माण पहले करने की सैद्धांतिक सहमति जरूर बनी है। शहर के पश्चिमी क्षेत्र के लाखों लोग शुरुआत से रिंग रोड के लिए तरस रहे हैं और अब उनके मन में उम्मीद की किरण जागी है, जिससे लोगों में उत्साह का माहौल है।
दो से तीन महीने लगेंगे सर्वे में
सूत्रों ने बताया कि जब तक ड्रोन सर्वे होकर डीपीआर नहीं बन जाती, तब तक यह सटीक रूप से कहना कठिन है कि पश्चिमी रिंग रोड में कहां-कितनी जमीन ली जाएगी। फिर भी शिप्रा से पीथमपुर तक यह रोड सांवेर, देपालपुर, हातोद, सांवेर और महू क्षेत्रों से होकर बनाने का प्रस्ताव है। दोनों दिशाओं में यह सडक़ एनएच-52 से जुड़ेगी। रोड की चौड़ाई का फैसला मुख्यालय से होगा। फिर भी माना जा रहा है कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए रिंग रोड सिक्स लेन बनेगी।
बाधाएं, मौके की स्थिति जानने के लिए होगा ड्रोन सर्वे
सूत्रों ने बताया कि पश्चिमी रिंग रोड बनाने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जाना है। चूंकि यह ग्रीनफील्ड हाईवे (एकदम नया) होगा, इसलिए रोड का सर्वे ड्रोन से करना ज्यादा बेहतर होगा। इससे यह पता चल सकेगा कि कहां-कहां बाधक निर्माण, अतिक्रमण, खाली जमीन, हाईटेंशन लाइन, नदी-नाले, जलाशय, तालाब, रेलवे लाइन, रोड जंक्शन और बस्ती आदि हैं। अभी पश्चिमी क्षेत्र के हातोद समेत विभिन्न गांवों के आसपास प्रस्तावित अलाइनमेंट के हिसाब से दोनों तरफ पत्थर लगाए जा रहे हैं, ताकि ड्रोन से उतने हिस्से की जांच हो सके। जहां बाधाएं हैं, वहां रोड का अलाइनमेंट बदला जा सकेगा।
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