कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लगातार झटका लगा रहा है। सिंगूर में ममता बनर्जी के साथ रहे रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी ने अलग रास्ता अख्तियार कर लिया है। वे अब पार्टी से इस्तीफा देने की बात कह दी है। एक दिन पहले ही नंदीग्राम आंदोलन में ममता के साथ रहे सुवेंदु अधिकारी ने भी पार्टी छोड़ दी है।
जानकारी के मुताबिक, सिंगूर में ममता बनर्जी के साथ रहे रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी ने पार्टी से इस्तीफा देने की बात कह दी है। रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी ने टाटा के नैनो कारखाने के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के आंदोलन में ममता बनर्जी का साथ दिया था। सूत्रों ने बताया कि ममता बनर्जी ने कुछ दिन पहले टीएमसी के ब्लॉक अध्यक्ष महादेब दास को पद से हटा दिया था। महादेब को रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी का करीबी माना जाता है।
जानकारी के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी के भविष्य के कदमों के बारे में जारी अटकलों के बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी सरकार में कैबिनेट मंत्री के पूर्वी मिदनापुर स्थित आवास पर जाकर उनके पिता और पार्टी सांसद शिशिर अधिकारी से मुलाकात की। पार्टी के एक नेता ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद तृणमूल कांग्रेस ने किशोर को अपनी चुनावी रणनीति बनाने के लिए चुना है। हालांकि कोंटाई स्थित सुवेंदु अधिकारी के घर पहुंचने के बाद किशोर उनसे नहीं मिल सके। उन्होंने काफी देर उनके पिता से बातचीत की।
नेता ने बताया कि किशोर कल शाम को सुवेंदु अधिकारी के आवास पर गए थे। वह सुवेंदु से नहीं मिल सके क्योंकि उस वक्त वह घर पर नहीं थे। उन्होंने अधिकारी के पिता, तृणमूल कांग्रेस से सांसद शिशिर अधिकारी से करीब आधे घंटे तक बातचीत की। सूत्रों ने बताया कि किशोर और शिशिर अधिकारी में से किसी ने भी इस मुलाकात के बारे में कोई सार्वजनिक खुलासा नहीं किया है। जिला तृणमूल कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग को किशोर के अधिकारी के आवास पर आने के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी।
बता दें कि सुवेंदु अधिकारी पिछले कुछ महीनों से पार्टी और कैबिनेट की बैठकों से दूर रह रहे हैं। वह पूर्वी मिदनापुर जिले में रैलियां कर रहे हैं और इनमें वह पार्टी के बैनरों और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पोस्टरों का उपयोग नहीं कर रहे हैं। अधिकारी ने अपनी रैलियों में कहा है कि बहुत कम उम्र से कठिन परिश्रम करके वह जमीनी स्तर से यहां तक पहुंचे हैं और उन्हें कभी किसी ने कुछ भी थाली में सजाकर नहीं दिया। हालांकि उन्होंने कभी किसी का नाम नहीं लिया है। उनके इन कदमों की पार्टी के कुछ नेताओं ने आलोचना भी की है।
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