कोलकाता । कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के न्यायाधीश (Judge) ने गुरुवार को कहा कि अगर अवैध रूप से नियुक्त शिक्षकों (If Illegally Appointed Teachers) को बर्खास्त नहीं किया जा सकता (Can’t be Sacked), तो बेहतर होगा कि पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) को ही समाप्त कर दिया जाए (Should be Abolished) ।
न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु ने उसी अदालत के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के पहले के आदेश की समीक्षा करने के लिए डब्ल्यूबीएसएससी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें अवैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवाओं को तत्काल समाप्त करने का आदेश दिया गया था। आयोग ने तर्क दिया कि विचाराधीन शिक्षक तीन साल से अधिक समय से सेवा में हैं और उनके खिलाफ अब तक अपराध की कोई शिकायत दर्ज नहीं है।
न्यायमूर्ति बसु ने आयोग से कहा कि अवैध नियुक्तियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता । उन्होंने कहा, अगर वे शिक्षक के रूप में बने रहते हैं, तो छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा। वे शिक्षक के रूप में नहीं रह सकते । उन्हें वैकल्पिक नियुक्तियां प्रदान की जा सकती हैं । हालांकि आयोग के वकील सुतनु पात्रा ने अदालत को सूचित किया कि चूंकि इस मामले में डब्ल्यूबीएसएससी और राज्य सरकार के बीच कोई संबंध नहीं है, इसलिए इन शिक्षकों को किसी अन्य विभाग में नियुक्त करना संभव नहीं है। मामले की सुनवाई 18 नवंबर को फिर होगी ।
29 सितंबर को जस्टिस बसु ने जस्टिस गंगोपाध्याय के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा था कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ जस्टिस गंगोपाध्याय की लड़ाई का हिस्सा बनना चाहता हूं। आने वाले दिनों में छात्र अपने शिक्षकों की योग्यता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाएंगे। लेकिन न्याय व्यवस्था समाज का कचरा साफ करने के लिए संकल्पबद्ध है। बुधवार को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो की एक एसआईटी के पुनर्गठन का आदेश दिया था ।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved