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    बंगाल के राज्यपाल ने ‘अपराजिता’ बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा, विधेयक में गंभीर दोष और खामियां बताईं

  • September 07, 2024

    कोलकाता । पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (Governor CV Anand Bose) ने विधानसभा (Assembly) द्वारा पारित अपराजिता बिल (Aparajita Bill) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) के पास विचार के लिए भेज दिया है. राज्यपाल सीवी आनंद बोस को मुख्य सचिव मनोज पंत ने दिन में विधेयक की तकनीकी रिपोर्ट सौंपी थी, राज्यपाल ने इसे पढ़ने के बाद विधेयक को मुर्मू के पास भेज दिया.

    राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार से अनिवार्य तकनीकी रिपोर्ट मिलने के बाद इसे आगे बढ़ाया है. हालांकि उन्होंने विधेयक में गंभीर दोष और खामियां बताईं और राज्य सरकार पर निशाना साधा. X पर पोस्ट किए गए एक बयान में राजभवन ने विधानसभा सचिवालय द्वारा नियमों के तहत डिबेट का टेक्स्ट और उसका अनुवाद उपलब्ध कराने में विफलता पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. बयान में कहा गया है कि तीखी बहस, आपसी आरोप-प्रत्यारोप, राजनीतिक धमकियों और अल्टीमेटम के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल द्वारा विधेयक को मंजूरी नहीं दिए जाने पर राजभवन के बाहर धरना देने की धमकी दी थी.

    बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के धमकाने वाले रुख पर नाराजगी जताई और सरकार को कानूनी और संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई. इससे पहले गुरुवार को राज्यपाल ने ममता सरकार पर बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड का प्रस्ताव करने वाले विधेयक की एक प्रति के साथ तकनीकी रिपोर्ट भेजने में विफल होने का आरोप लगाया.


    राजभवन के बयान के अनुसार राज्यपाल ने जल्दबाजी में पारित विधेयक में खामियों की ओर इशारा किया. बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जल्दबाजी में काम न करें और आराम से पश्चाताप करें. बोस ने जोर देकर कहा कि लोग ट्रेनी महिला डॉक्टर के लिए न्याय चाहते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए.

    राज्यपाल ने कहा कि लोग बिल के लागू होने तक इंतजार नहीं कर सकते. वे न्याय चाहते हैं और उन्हें मौजूदा कानून के दायरे में न्याय मिलना चाहिए. सरकार को प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए. अपनी प्यारी बेटी को खोने वाली शोक संतप्त मां के आंसू पोंछना सरकार का कर्तव्य है. राज्यपाल ने बिल में खामियां बताईं और सरकार को बिना सोचे-समझे जवाब देने के बजाय अपना होमवर्क करने की सलाह दी.

    बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 3 सितंबर को सर्वसम्मति से ‘अपराजिता महिला और बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024′ पारित किया था, जिसमें बलात्कार के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही अन्य अपराधियों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.

    अपराजिता विधेयक के अनुसार महिलाओं के उत्पीड़न और बलात्कार के मामलों में दोषी को कठोरतम सजा दी जाएगी. पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों को और कड़ा किया गया है. बलात्कारियों के कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या उसे गंभीर मस्तिष्क क्षति होती है तो रेपिस्ट के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है.

    विधेयक के तहत अपराजिता टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जिसमें प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर सजा दी जाएगी.नर्सों और महिला डॉक्टरों के आवाजाही वाले मार्गों को कवर किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने 120 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे.’रात्रि साथी’ का भी प्रावधान किया है, जिसके तहत महिलाएं 12 घंटे ड्यूटी करेंगी और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर अपनी ड्यूटी बढ़ाएंगे. रात में काम करने वाली महिलाओं को पूरी सुरक्षा दी जाएगी.

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