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कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ के अंतरिम रोक के आदेश को चुनौती दी पश्चिम बंगाल सरकार ने


कोलकाता । पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ (Single Bench of Calcutta High Court) के अंतरिम रोक के आदेश (Order of Interim Stay) को चुनौती दी (Challenged) । भाजपा विधायकों द्वारा राष्ट्रगान के कथित अपमान के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के एकल पीठ द्वारा आरोपियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर अंतरिम रोक के आदेश को पश्चिम बंगाल सरकार ने उसी अदालत के दो न्यायाधीशों की खंडपीठ समक्ष चुनौती दी है।


न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश पीठ 7 दिसंबर को अपने आदेश में 17 जनवरी तक मामले में किसी भी जांच पर रोक लगा दी थी। हालांकि, बुधवार को, राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ से संपर्क किया और इस रोक को चुनौती दी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि हालिया घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि यह मामला सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है और वे इसे अंत तक खींचने के लिए तैयार हैं। मामले की जांच पर अंतरिम रोक लगाते हुए जस्टिस सेनगुप्ता ने मामले के गुण-दोष पर कुछ टिप्पणियां कीं।

मामले से संबंधित राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत वीडियो फुटेज पर सवाल उठाते हुए और यह देखते हुए कि फुटेज भाजपा विधायकों द्वारा राष्ट्रगान के अपमान के आरोपों की पुष्टि नहीं करता है, न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने यह भी कहा कि राष्ट्रगान को राजनीतिक माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। घटना 29 नवंबर को हुई जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस के विधायक काली शर्ट पहनकर विभिन्न केंद्र प्रायोजित परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार को केंद्रीय धन जारी नहीं करने के खिलाफ विधानसभा परिसर के भीतर बीआर अंबेडकर की मूर्ति के पास विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे।

विरोध-प्रदर्शन के अंत में, विपक्ष के नेता (एलओपी) के नेतृत्व में भाजपा विधायकों का एक समूह विधानसभा परिसर में पहुंचा। विपक्ष के नेता समेत विधायकों को विरोध-प्रदर्शनों की ओर इशारा करते हुए “चोर”, “चोर” चिल्लाते देखा गया। बाद में मुख्यमंत्री ने इसे अपना अपमान मानते हुए स्पीकर से शिकायत की कि भाजपा विधायक अपमानजनक नारे लगा रहे थे जबकि सत्ता पक्ष के विधायक राष्ट्रगान गा रहे थे। बाद में तृणमूल कांग्रेस के तीन विधायकों ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की।

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