इंदौर। बारिश इस बार भरपूर रही। किसान भी खुश हो रहे थे कि रबी सीजन मे गेहूं, चने का भरपूर उत्पादन होगा, लेकिन मौसम की मार से किसान कराह उठे हैं। गेहूं की शुरुआती फसल निकल रही है, जिसमें उत्पादन आधा आने से किसान मायूस है बोल रहे हैं की लागत निकालना भी मुश्किल लग रहा है।
इंदौर जिले में तकरीबन 2 लाख 40 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर रबी सीजन की बोवनी किसानों द्वारा की गई थी। पहले तो भरपूर बारिश और फिर दो से तीन बार मावठा गिरने से किसानों को उम्मीद थी कि इस बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन रहेगा, लेकिन जब फसल काटने का दौर आया तो किसानों के चेहरे लटक गए। जिन किसानों को 12, 15 और 18 क्विंटल प्रति बीघा गेहूं के उत्पादन की उम्मीद थी, उन्हें 6 से 8 क्विंटल प्रति बीघा से ही संतोष करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि अक्टूबर और नवंबर में मौसम की ठंड के नहीं रहने से इस बार उत्पादन बेहद कमजोर रहा है, जिससे लागत नहीं निकल रही है। किसानों का कहना है कि सर्वे किया जाना चाहिए। फसल बीमा के माध्यम से मुआवजा मिलना चाहिए। इंदौर जिले में तकरीबन 1 लाख 60 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर गेहूं की फसल इस बार किसानों ने लगाई थी, वहीं 30 हजार हेक्टेयर भूमि पर चने व मटर की फसल रबी सीजन में बोई गई थी।
चने और मटर के भी यही हाल
इस बार गेहूं ही नहीं चने और मटर की फसल का उत्पादन भी कमजोर ही रहा है। अक्टूबर की शुरुआत में जो चना बोया गया था, वह ज्यादा खराब हुआ है। इसके बाद धुंध और कोहरे के कारण चने के फूल जल गए थे, जिसके गट्टे में ही दाना छोटा रह गया था, जो फल में परिवर्तित ही नहीं हो पाया। कुछ ऐसी स्थिति मटर की भी रही। कुल मिलाकर रबी सीजन किसानों के लिए अच्छा नहीं रहा।
ठंड की शुरुआत देर से और बोवनी जल्दी इसलिए बने ऐसे हालात
इस बार शीतलहर नवंबर के आखिर में शुरू हुई थी। किसानों ने बारिश की फसल सितंबर में ही निकाल ली थी। इसके बाद 10 अक्टूबर से ही गेहूं और चने की बोवनी शुरू कर दी थी। डेढ़ महीने तक मौसम फसल को अनुकूल नहीं मिलने और ठंड के देर से शुरू होने के कारण गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ा है, वहीं कोहरे ने भी काफी हद तक फसलों को नुकसान पहुंचाया है। जिन किसानों ने 15 नवंबर के बाद गेहूं की फसल लगाई थी, उन्हें उत्पादन बेहतर मिलने की पूरी उम्मीद थी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved