इंदौर। ‘‘इस फिल्म को पैन इंडिया फिल्म बनाना था, इसलिए लंबा वक्त लगा। डेढ़ साल मुझे खुद के ट्रांसर्फोमेशन को देने पड़े। मिक्स मार्शल आर्ट बाकी मार्शल आर्ट से तकनीकी रूप से काफी अलग होता है और कठिन भी, इसलिए फाइट मास्टर से ट्रेनिंग लेने के लिए थाईलैंड जाना पड़ा। हर दिन प्रेक्टिस और फिर शूटिंग के बाद थकान और दर्द से गुजरा। वो काफी नहीं था, अब प्रमोशन काफी कठिन लग रहा है। कई दिनों से ठीक से सो नहीं पाया हूं, क्योंकि हर दिन एक नए शहर में जा रहा हूं, लेकिन सब दूर हो जाता है, जब देखता हूं कि लोग मुझे पहचान रहे हैं और प्यार दे रहे हैं।’’
बॉलीवुड बायकॉट की बात अब हो गई एक बड़ा टॉपिक
बॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों के लगातार बायकॉट के ट्रेंड पर बात करते हुए देवरकोंडा ने कहा कि ये अब एक बड़ा टॉपिक हो गया है। अब ये पता करना जरूरी है कि ऐसा क्यों हो रहा है और कौन कर रहा है, यदि लगातार ऐसा चलता रहा, तो हजारों परिवार इससे प्रभावित होंगे, क्योंकि इस इंडस्ट्री में केवल अभिनेता-अभिनेत्री ही नहीं, उन्हें सेट पर चाय देने वालों से थिएटर में समोसे बेचने वाले तक हैं, जिनके घर चलते हैं। देवरकोंडा ने ये भी बताया कि फिल्म प्रमोशन के लिए वे जिस भी शहर में जा रहे हैं, उनसे वहां यही सवाल पूछा जा रहा है।
तेलगु सीख रही हूं : अनन्या पांडे
अनन्या पांडे खुद को किसी भाषा में बांधना नहीं चाहती, इसलिए हर वो फिल्म करना चाहती है, जो उन्हें मिले। फिर चाहे वो जापनीज हो या जर्मन हो। हालांकि, इस फिल्म के बाद अनन्या तेलगू सीखने पर जोर दे रही है। कहती हैं कि जब उन्हें ट्रोल किया जाता है, तो कई बार हंसी आती है और कई बार बुरा भी लगता है, पर फिर लगता है कि सबसे जरूरी है काम, क्योंकि आपका काम ही बोलता है।
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