उज्जैन। जिले का नापतौल कार्यालय भवन बेहद जर्जर हो गया है। बारिश के दौरान भवन की छत से पानी टपकने के चलते दस्तावेज भी खराब हो रहे हैं, वहीं कर्मचारियों के साथ हमेशा दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती हैं। बावजूद नापतौल विभाग न तो दूसरी बिल्डिंग में शिफ्ट किया जा रहा हैं, ना ही इसे खुद का भवन मुहैया हो रहा हैं।
जिले की सरकारी और निजी संस्थाओं, पेट्रोल पंपों, प्रतिष्ठानों, दुकानों के तराजू बाँट और तौल पर निगरानी रखने वाला नापतौल विभाग बीते 15 सालों से किराए के जर्जर भवन में लग रहा है। ऐसी परिस्थितियों में यह अंदाजा लगाने को काफी है कि कार्यालय के कर्मचारी किस प्रकार अपने कार्यों को अंजाम देते होंगे। विभागीय अधिकारियों की ओर से इस संबंध में जिला प्रशासन के अधिकारियों को कई बार अवगत भी कराया गया है। बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नापतौल विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभाग को नए भवन निर्माण के लिए शासन से 70 लाख रुपए का बजट तो आज से दो साल पहले ही स्वीकृत हो चुका था, मगर जमीन नहीं मिलने के कारण भवन का निर्माण आज तक अटका पड़ा है। हैरानी की बात तो यह है कि जिला प्रशासन की ओर से नापतोल विभाग को तीन बार जमीन भी आवंटित हो चुकी है लेकिन राजनीतिक और अन्य कारणों के चलते उसे कैंसिल कर दिया गया। एक बार फिर से विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की उम्मीद जगी हैं। अब इंदौर रोड पर नापतौल भवन के लिए जमीन देने की बात की जा रही है, लेकिन इस पर मुहर लगना बाकी हैं। नापतौल और जिला प्रशासन के अधिकारियों की ओर से जमीन की तलाश अभी भी जारी है। फिलहाल नापतौल विभाग के अधिकारी कर्मचारी आज भी जर्जर भवन में अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं।
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