तेरा बागी, मेरा बागी
ग्वा लियर चंबल संभाग की पहचान पूरे देश में बीहड़, बागी, बंदूक और बगावत के लिए रही है। पहली बार विधानसभा उपचुनाव में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के अधिकांश उम्मीदवार भी बागी के नाम से पहचाने जा रहे हैं। कांग्रेस आरोप लगा रही है कि सिंधिया समर्थक बागी और गद्दार हैं तो अब भाजपा और बसपा ने भी कांग्रेस प्रत्याशियों पर ऐसे ही आरोप लगाना शुरू कर दिया है। ग्वालियर चंबल संभाग में कांग्रेस ने 9 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए। इनमें दो को छोड़कर लगभग सभी प्रत्याशी अन्य पार्टियों से कांग्रेस में आए हैं। कांग्रेस ने दो प्रत्याशी तो ऐसे मैदान में उतारे हैं जिन्होंने दो साल पहले बसपा की टिकट पर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था। पूरे संभाग में अब तेरा बागी- मेरा बागी की बातें सुनी जा रही हैं।
कतार में अरूण यादव
पू र्व केंद्रीय मंत्री व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव का एक समय ऐसा जल-जला था कि वे स्वयं प्रदेश भर के टिकट फायनल करते थे, लेकिन अब खबर आ रही है कि स्वयं अपनी टिकट के लिए कतार में लगे हैं। खबर आ रही है कि अरूण यादव स्वयं खंडवा जिले की मांधाता सीट से उपचुनाव लडऩा चाहते हैं। इस सीट पर कांग्रेस के नारायण पटेल ने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया है। कांग्रेस अरूण यादव को प्रत्याशी बनाएगी इसकी संभावना कम है। क्योंकि यादव पर आरोप लगा है कि कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी की बैठक की जानकारी उन्होंने लीक की। सोनिया गांधी ने पिछले दिनों उन्हें सीडब्ल्यूसी से हटा भी दिया है। ऐसे में कमलनाथ शायद ही अरूण यादव पर दांव लगाएं।
पालीवाल की वापसी
म प्र और छत्तीसगढ़ के मुख्य चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर के पद पर आरके पालीवाल की नियुक्ति की गई है। पालीवाल पहले चीफ कमिश्नर रह चुके हैं। भोपाल में गांधीवादी कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाने वाले पालीवाल की छवि बेहद ईमानदार आयकर अधिकारी के रूप में है। ऐसे समय में जबकि मध्यप्रदेश में कई रिटायर आईएएस,आईपीएस अधिकारी आयकर के निशाने पर हैं। मध्यप्रदेश आयकर विभाग की बेनामी शाखा ने सबसे ज्यादा संपत्तियां अटैच की हैं, तब पालीवाल की मप्र, छत्तीसगढ़ में नियुक्ति अहम मानी जा रही है। सरल, सहज के साथ-साथ बेहद सख्त पालीवाल के आने से भ्रष्ट अफसरशाही में बैचेनी देखी जा रही है।
सड़क पर पत्रकार
ऐ से समय में जबकि पूरी सरकार का ध्यान ग्वालियर चंबल संभाग की 17 सीटों को जीतने पर लगा है तब अचानक ग्वालियर के पत्रकार अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर गए हैं। ग्वालियर विकास प्राधिकरण द्वारा बनाई गई मामा माणिकचंद वाजपेयी पत्रकार कॉलोनी में पैसे जमा करने के बाद भी भूखण्ड न मिलने से नाराज पत्रकारों ने उपचुनाव के समय विरोध तेज कर दिया है। कुछ पत्रकारों ने तो समस्या का समाधान होने तक जूते-चप्पल भी छोड़ दिए हैं। पत्रकारों का कहना है कि उपचुनाव की आचार संहिता लगने से पहले उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जाए। अचानक मीडिया के सड़क पर उतरने से सरकार और प्रशासन सकते में है।
महू बना अड्डा
वै से तो महू इंदौर का एक छोटा सा उपनगर है, लेकिन आजकल अवैध गतिविधियों के कारण प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन गया है। प्रदेश में सबसे बड़ा अनाज घोटाला महू में पकड़ में आया है। अब खबर आ रही है कि पूरे प्रदेश में सट्टे का सबसे बड़ा अड्डा भी महू से ऑपरेट हो रहा है। भोपाल पुलिस को महू से पूरे प्रदेश में सट्टा ऑपरेट करने वालों के नाम और नंबर पता चले हैं। उम्मीद की जा रही है कि अनाज घोटाले की तरह बड़े सट्टेबाज भी महू से ही पकड़े जाएंगे।
कांग्रेस का आईटी सेल आगे
म प्र में उपचुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने-अपने आईटी सेल को एक्टिव कर दिया है। कांग्रेस ने केके मिश्रा के नेतृत्व में तीन महीने पहले ही ग्वालियर में वार रूम शुरू कर दिया था। भोपाल में अभय तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस का आईटी सेल सक्रिय होकर नए-नए मुद्दे दे रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस ने भाजपा और सिंधिया को घेरने के लिए दिल्ली से पवन खेड़ा के नेतृत्व में अनुभवी प्रवक्ताओं की टीम भोपाल बुलाई है। इस मामले में भाजपा फिलहाल पिछड़ी हुई है। उपचुनाव से ऐन पहले प्रदेश भाजपा मीडिया विभाग के आपसी मतभेद भी सुनाई देने लगे हैं। भाजपा को चुनाव से पहले घर ठीक करने की चिंता होने लगी है।
यहां भी कमलनाथ पिछड़े
मु ख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता के मुकाबले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हमेशा पिछड़ जाते हैं। भोपाल के कांग्रेस विधायक आरिफ अकील को ब्रेन हेमरेज हुआ और उनका बड़ा आपरेशन किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खबर लगते ही आरिफ अकील का हाल जानने अस्पताल पहुंच गए, लेकिन कांग्रेस विधायक दल के नेता कमलनाथ दो किलोमीटर दूर रहने के बाद भी अब तक आरिफ अकील का हाल जानने अस्पताल नहीं गए हैं। यह संतोष की बात है कि आरिफ अकील तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं। उन्हें अब आईसीयू से सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।
संत की राजनीति से तौबा
जै न संत आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज के एक बयान को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस सिंधिया के खिलाफ जमकर माहौल बना रही है। जबकि पुलक सागर महाराज के ज्योतिरादित्य सिंधिया से न केवल अच्छे संबंध है बल्कि ग्वालियर चातुर्मास के दौरान सिंधिया कई बार पुलक सागर जी के दर्शन करने पहुंचे थे। सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे के बाद पुलक सागर जी ने उन्हें अपनी मातृ पार्टी को न छोडऩे की सलाह दी थी। कुछ अखबारों ने उसे बढ़ा चढ़ाकर छाप दिया। पांच महीने बाद कांग्रेस ने पुलक सागर जी के बयान को सिंधिया के खिलाफ मुद्दा बनाने की कोशिश की तो राजस्थान के बांसवाड़ा में बैठे पुलक सागरजी हैरान हैं। वे आने वाले समय में इस संबंध में स्पष्टीकरण दे सकते हैं। साथ ही राजनीतिक मुद्दों पर बोलने से तौबा कर सकते हैं।
और अंत में…
भा जपा में नए-नए आए ज्योतिरादित्य सिंधिया न केवल कांग्रेस बल्कि ग्वालियर क्षेत्र की जनता और भाजपा के पुराने नेताओं के निशाने पर हैं। सिंधिया के विरोध का अंदाज इसी से लग जाता है कि फेसबुक पर उनके लाइव भाषण के दौरान बेहद आपत्तिजनक और लगभग गाली-गलौच जैसे मैसेज भी दिखाई देते हैं। यह बात दूसरी है कि भाषण को लाइव करने वाली कंपनी इन मैसेज को डिलीट करने में लगी रहती है। इसी तरह अब सिंधिया के ट्वीट पर आने वाले संदेश भी उनके प्रति तीखे और नाराजगी भरे दिखाई दे रहे हैं।
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