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    शादी-ब्याह से मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था, एक विवाह पर 12.50 लाख का खर्च

  • June 25, 2024

    नई दिल्ली: शादी-ब्याह पर हर परिवार दिल खोलकर खर्च करता है, क्योंकि यह जिंदगी का सबसे बड़ा इवेंट होता है. खास बात है कि यह इवेंट देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा महत्वपूर्ण बन गया है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वेडिंग इंडस्ट्री करीब 130 अरब डॉलर (10 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गई है.

    हैरानी की बात है कि भोजन और ग्रॉसरी मार्केट के बाद, वेडिंग मार्केट दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है. एक घर में शादी होने से कई इंडस्ट्री के लोगों को रोजगार मिल रहा है. चूंकि, अब शादी समारोह बहुत लग्जरी हो गया है इसलिए इवेंट, केटेरिंग से लेकर कई इंडस्ट्री को इसका फायदा मिल रहा है.

    इंडियन वेडिंग इंडस्ट्री पर रिपोर्ट जारी करने वाली कैपिटल मार्केट फर्म ने कहा कि इंडियन वेडिंग मार्केट का साइज अमेरिकी बाजार से दोगुना लेकिन चाइनीज मार्केट से कम है. आइये आपको बताते हैं आखिर कैसे लाखों शादियां होने से कैसे करोड़ों-अरबों का कारोबार होता है और किन इंडस्ट्री को कितना फायदा मिलता है.

    जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में शादी को लेकर होने वाले अलग-अलग खर्चों को आधार बनाया. इनमें ज्वैलरी से लेकर केटरिंग इंडस्ट्री तक शामिल हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत में होने वाली हर शादी पर करीब 12.5 लाख रुपये खर्च होते हैं. हैरानी की बात है कि यह आंकड़ा भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी से लगभग 5 गुना है, जो कि 2.4 लाख रुपये है.


    वहीं, एनुअल हाउसहोल्ड इनकम से 3 गुना है, जो कि 4 लाख रुपये है. खास बात है कि भारत में लोग शादियों पर कई अन्य देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा खर्च करते हैं. देश में एक लग्जरी वेडिंग में होने वाला खर्च करीब 20 और 30 लाख रुपये आता है. इनमें सबसे ज्यादा पैसा होटल, केटरिंग, डेकोरेशन और एंटरटेनमेंट शामिल है. इसमें ज्वैलरी, कपड़े और ट्रैवल किराया शामिल नहीं है. इसके अलावा, बेहद अमीर लोग, डेस्टिनेशन वेडिंग पर और भी ज्यादा खर्च करते हैं.

    शादी से इन इंडस्ट्री की कमाई

    • हर शादी में सबसे ज्यादा खर्च, ज्वैलरी पर होता है. शादी-ब्याह के सीजन में सर्राफा उद्योग को सबसे ज्यादा 35-40 फीसदी का रेवेन्यू हासिल होता है.
    • इसके बाद नंबर आता है केटरिंग इंडस्ट्री का, जिसे 24-26 फीसदी राजस्व मिलता है.
    • इवेंट प्लानिंग इंडस्ट्री को 18-20 फीसदी.
    • फोटोग्राफी 10-12 फीसदी.
    • कपड़ा उद्योग को 9-10 फीसदी.
    • डेकोरेशन इंडस्ट्री को भी 9-10 फीसदी.
    • इसके अलावा, अन्य खर्चों के चलते विभिन्न इंडस्ट्रीज को 20-25 फीसदी रेवेन्यू मिलता है.

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