नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट घर से भागे प्रेमी जोड़ों के लिए सुरक्षित ठिकाने की तरह है। यहां हर रोज दोनों ही राज्यों से करीब 100 ऐसे केस आते हैं जहां घर से भागे जोड़े अपने नाराज परिवार से सुरक्षा के लिए गुहार लगाते हैं। घर से भागे हुए इन प्रेमी जोड़ों को जरूरतों को पूरा करने के लिए चंडीगढ़ के बाहरी इलाके में कई सारी शादी की दुकानें पनप रही हैं। इन दुकानों में शादी से जुड़ा हर सामान, शादी कराने के लिए पुजारी, मैरेज सर्टिफिकेट, तस्वीरें और हाई कोर्ट ले जाने के लिए वकील तक सब मिलता है।
इन दुकानों का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है हालांकि लीगल एक्सपर्ट्स की मानें तो इस तरह शादी को कमर्शलाइज करना अनैतिक है। उन्होंने इसे युवाओं का शोषण करार दिया है। इन जोड़ों का मुख्य मकसद गुरुद्वारे या मंदिर में शादी करना होता है, ताकि वह हाई कोर्ट में अपनी शादी का सबूत दिखाकर अपने नाराज रिश्तेदारों और परिवार से सुरक्षा के लिए याचिका दायर कर सकें। बड़ी संख्या में ऐसी कई ‘शादी की दुकानें’ पंचकुला में प्रसिद्ध माता मनसा देवी मंदिर जाने वाली सड़क पर लाइन से स्थित है।
ये दुकानें इन नौजवान जोड़ों को हर तरह की सर्विस देती है ताकि वे अगले ‘सात जनमों’ तक साथ में रह सकें। इन शादी की दुकानों के लिए दूसरे धर्म, दूसरी जाति और एक ही गोत्र में शादी पर कोई सीमा या निषेध नहीं है। यहां भागे हुए जोड़ों को सब्सिडी वाले होटल या शेल्टर होम उपलब्ध कराए जाते हैं जहां वे हाई कोर्ट से उनके पक्ष में फैसला आने तक ठहर सकते हैं और परिवार से बच सकते हैं। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस इलाके का दौरा किया और पाया कि मनसा देवी के मंदिर के प्रवेश द्वार तक पूरा क्षेत्र ऐसी कई दुकानों से घिरा हुआ है।
दुकानों के बाहर बोर्ड लगे हुए हैं जिसमें ऐसे ही यंग कपल को प्रमाणिक मैरेज सर्टिफिकेट के साथ शादी संपन्न कराने का आश्वासन दिया गया है। ये दुकानें प्रेमी जोड़ों को शादी से जुड़ा हर समान उपलब्ध कराते हैं। मसलन कपडे़ से लेकर दुलहन के मेकअप, फोटोग्राफ और यहां तक की वकील की सुविधा भी। इन जोड़ों को माता का आशीर्वाद लेने के लिए मनसा देवी मंदिर के दर्शन भी कराए जाते हैं। हालांकि एक बार शादी की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद सारे कपड़े और जूलरी वापस करना होता है।
इन प्रेमी जोड़ों के लिए उनकी आर्थिक क्षमता के हिसाब से वेडिंग पैकेज और कंपलीट पैकेज बनाए गए हैं। 5,100 रुपये वाले वेडिंग पैकेज में मैरेज सर्टिफिकेट, हार पहनाते और सप्तपदी (सात फेरे) लेते हुए तस्वीरें के साथ शादी संपन्न कराई जाती है। इसके बाद 16,000 रुपये का कंपलीट पैकेज है जिसमें इसके अलावा वकील की फीस भी शामिल है जो हाई कोर्ट तक उस जोड़े की सहायता करेगा।
दिलचस्प बात यह है कि घर से भागे हुए इन जोड़ों की शादी कराने वाले पुजारी कोर्ट में याचिका से जुड़ी सारी कार्यवाही को भी बखूबी जानते हैं। वैदिक पूजन केंद्र में बैठने वाले एक पुजारी अखिलेश पांडेय ने बताया कि दुकान के मुख्य पुजारी पंडित राकेश शर्मा शादी से जुड़े सभी कामों में माहिर हैं। शादी कराने से लेकर आधार कार्ड में जन्मतिथि, प्रमाणिक विवाह सर्टिफिकेट और हाई कोर्ट से आदेश तक सारे प्रबंधन उन्हें आते हैं।
जब कोई घर से भागा हुआ प्रेमी जोड़ा परिवार की इच्छा के विपरीत शादी करने का फैसला लेता है तो वे पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट से परिवार से सुरक्षा और आजादी के लिए याचिका दाखिल करते हैं। हालांकि यह साबित करने के लिए वे शादीशुदा हैं और पति-पत्नी की तरह रहते हैं, जोड़े को शादी का सर्टिफिकेट दिखाना होता है। हाई कोर्ट ने पिछले साल ही इसे अनिवार्य किया है।
इस स्टेज में शादी की दुकानें युवाओं के ‘आश्वासन’ देकर उनका शोषण करती हैं। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के अधिकारक्षेत्र में दोनों राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ आता है ऐसे में ये दुकानें तेजी से फल फूल रही हैं। इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि विवाह योग्य आयु वाले जोड़ों का रीति-रिवाजों के साथ शादी कराना अवैध नहीं कहा जाएगा लेकिन विवाह संस्था का इस तरह का व्यवसायीकरण अनैतिक है। एक्सपर्ट के अनुसार, यह एक तरह से युवाओं का शोषण भी है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved