नई दिल्ली। अमेरिका और चीन (US-China tension) के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव का असर आज भारत समेत पूरे एशियाई बाजारों पर नकारात्मक (negative on Asian markets) रूप में नजर आ रहा है। इस तनाव की वजह से दुनियाभर के बाजारों पर नेगेटिव सेंटीमेंट हावी (negative sentiment prevails) हो गया है, जिसके कारण ज्यादातर बाजारों में गिरावट का रुख बना हुआ है। इसके पहले तनाव बढ़ने की आशंका से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आने की डर के कारण अमेरिकी बाजार भी कल कमजोरी के साथ बंद हुए थे।
एशियाई बाजारों में आज कारोबार की शुरुआत से ही नरमी का माहौल बना हुआ है और निवेशक जोखिम लेने से बचने की कोशिश कर रहे हैं। एसजीएक्स निफ्टी में फिलहाल 78 अंक की कमजोरी नजर आ रही है। इसी तरह स्ट्रट टाइम्स भी सपाट स्तर पर 0.01 प्रतिशत की गिरावट के साथ कारोबार करता नजर आ रहा है, जबकि ताइवान के बाजार में 1.68 प्रतिशत की कमजोरी बनी हुई है। हांगकांग का हेंगसेंग इंडेक्स 2.97 प्रतिशत की गिरावट के साथ 19,566.53 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहा है। शंघाई कंपोजिट में अभी तक के कारोबार में 2.63 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है और ये सूचकांक फिलहाल 3,174.17 अंक के स्तर पर है। कोस्पी इंडेक्स भी 0.84 प्रतिशत की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है। एशियाई बाजार में अकेले निक्केई इंडेक्स बढ़त में नजर आ रही है। फिलहाल ये सूचकांक 1.59 प्रतिशत की मजबूती के साथ 27,549.41 अंक के स्तर पर बना हुआ है।
शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के मुद्दे को लेकर अमेरिका और चीन के बीच बने तनाव ने इन दोनों देशों के साथ दुनिया भर के बाजारों पर असर डाला है। इस तनाव के कारण जहां निवेशक मंदी की आशंका जताते हुए किसी भी तरह का जोखिम लेने से बच रहे हैं, वहीं समय रहते बाजार से अपना पैसा निकालने की कोशिश में भी जुट गए हैं। यही वजह है कि ज्यादातर बाजारों में बिकवाली का दबाव बना हुआ है और इक्का-दुक्का शेयर बाजारों को छोड़कर ज्यादातर बाजारों में कमजोरी बनी हुई है। भारत में भी शेयर बाजार वैश्विक माहौल के रुख को भांपते हुए कमजोरी के साथ कारोबार कर रहा है।
मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के मुताबिक अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के साथ ही एनर्जी, टेक्सटाइल और ऑटो सेक्टर पर भी दबाव पड़ने की आशंका है। चीन और अमेरिका के बीच शुरू हुए इस तनाव के केंद्र में ताइवान के होने की वजह से इलेक्ट्रॉनिक तथा इलेक्ट्रिक गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और सेमी कंडक्टर मार्केट में भी दबाव पड़ने की आशंका है। अहम बात तो ये है कि चीन और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े एक्सपोर्टर्स में से एक हैं। ऐसे में अगर इन दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बढ़ती है या आगे चलकर युद्ध के हालात बनते हैं, तो पूरी दुनिया में मंदी आने की आशंका बन सकती है। यही कारण है कि अमेरिका और चीन के बीच के तनाव ने दुनिया भर के बाजारों को पहले ही सतर्क कर दिया है, ताकि रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए जंग के कारण अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आई कमजोरी जैसी विपरीत परिस्थिति का दोहराव होने से बचा जा सके। (एजेंसी, हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved