नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हो रहे हंगामे के बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि लोकतंत्र हमेशा दो पहियों पर चलता है. उन्होंने कहा, “एक पहिया है सत्तापक्ष और दूसरा विपक्ष. दोनों की जरूरत होती है. सांसदों के विचारों को तो देश तब ही सुनता है जब हाउस चलता है.”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर खरगे ने कहा, “16 मई 1952 को सभापति के रूप में राज्य सभा में पहले सभापति डॉ राधाकृष्णन जी ने सांसदों से कहा था कि मैं किसी भी पार्टी से नहीं हूं और इसका मतलब है कि मैं सदन में हर पार्टी से हूं. यह निष्पक्षता की परंपरा आपके कार्यकाल (सभापति जगदीप धनखड़) में पूरी तरह खंडित हो गयी. आज विपक्ष की आवाज़ का गला घोटना अब राज्य सभा में संसदीय प्रक्रिया का नियम बन गया है.”
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा, संसद की मर्यादाओं और नैतिकता आधारित परंपराओं का हनन अब राज्य सभा में दिनचर्या बन गई है. प्रजातंत्र को कुचलने और सच को पराजित करने की कोशिश लगातार जारी है. हम संविधान के सिपाही और रक्षक के तौर पर हमारा निश्चय और ज्यादा दृढ़ हो जाता है. हम न झुकेंगे, न दबेंगे, न रुकेंगे और संविधान, संसदीय मर्यादाओं और प्रजातंत्र की रक्षा के लिए हर कुर्बानी के लिए सदैव तत्पर रहेंगे.”
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