नई दिल्ली: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अगर अर्द्धसैनिक बल को कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों में मुख्य भूमिका निभाने के लिए कहा जाता है तो वह इसके लिए पूरी तरह तैयार है. उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में घाटी में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, लेकिन बल सतर्कता बरतते हुए आपराधिक तत्वों पर नजर रख रहा है.
सीआरपीएफ के महानिरीक्षक (कश्मीर अभियान) एम. एस. भाटिया ने कहा, सीआरपीएफ के पास ऐसे (आतंकवाद-रोधी) परिदृश्यों में प्रभावी ढंग से काम करने की दक्षता, क्षमता, प्रशिक्षण और तकनीक मौजूद है, इस मामले में मैं बस यही कह सकता हूं. उन्होंने पिछले महीने एक राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र की एक खबर के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही, जिसमें दावा किया गया था कि केंद्र सरकार कश्मीर में सक्रिय तौर पर चरणबद्ध तरीके से सेना हटाने पर विचार कर रही है.
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से क्या बदला?
भाटिया ने कहा, यह एक नीतिगत मुद्दा है, जिस पर हाईलेवल पर फैसला किया जाता है और हमें जो भी आदेश दिया जाएगा, हम उसका पालन करेंगे. अब भी, हम सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हैं. सीआरपीएफ ने 2005 में कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों में सीमा सुरक्षा बल (BSF) की जगह ले ली थी.
भाटिया ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद घाटी में स्थिति में ‘बड़ा बदलाव’ आया है. उन्होंने कहा, अगर हम (अनुच्छेद 370) निरस्त करने से पहले की स्थिति और मौजूदा स्थिति की बात करें तो पिछले दो-तीन सालों में इसमें काफी सुधार हुआ है. यह उल्लेखनीय है.’
हालांकि, सीआरपीएफ महानिरीक्षक ने आगे कहा, ‘हम यह दावा नहीं कर रहे हैं कि हमने उग्रवाद या आतंकवाद को पूरी तरह से मिटा दिया है, लेकिन पहले जैसी स्थिति थी, उसकी तुलना में (आतंकवादी घटनाओं की) संख्या कम हुई है, (आतंकवादी संगठनों में) युवाओं का शामिल होना कम हो गया है. हो सकता है कि कुछ भटके हुए युवा आतंकवाद में शामिल होते हों, लेकिन उन्हें भी बहुत तेजी से समाप्त किया जा जा रहा है.’
भाटिया ने कहा कि खुफिया नेटवर्क ‘बहुत अच्छा’ है, जो अपराधियों पर नजर रखने में मदद करता है. उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, जबकि पत्थरबाजी की घटनाएं समाप्त हो गई हैं.
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