कोविड केयर सेंटर पर गंभीर मरीजों केपरिजनों कर रहेहैं गुहार, 178 भर्ती भी
इन्दौर। राधस्वमी सत्संग परिसर (Radhaswami Satsang Campus) में मां अहिल्या कोविड सेंटर (Maa Ahilya Kovid Center) बना हैं, वहां अब उन गंभीर मरीजों के परिजनों के फोन ज्यादा आ रहे हैं, जिन्हें अस्पतालों ( (hospitals) में बेड नहीं मिल रहा है, वे हाथ जोडक़र गुहार लगा रहे हैं कि आप तो भर्ती कर लो, ऑक्सीजन (Oxygen) का सिलेंडर हम ले आएंगे, जबकि हकीकत यह है कि सेंटर पर गंभीर मरीजों को भर्ती किया ही नहीं जाना है, सिर्फ उन मरीजों का इलाज होना है, जो ए सिम्टोमेटिक यानी कम लक्षणों वाले हैं और जिनके पास होम आइसोलेशन की अलग से सुविधा नहीं है। कल रात तक इसी तरह के 178 मरीजों की भर्ती सेंटर पर की भी गई।
अभी शहर के किसी भी अस्पताल (hospital) में एक भी बेड उपलब्ध नहीं है। छोटे बड़े सभी निजी अस्पतालों के अलावा सरकारी अस्पतालों में भी सारे बेड भर गए और अतिरिक्त बेड लगाकर भी इलाज किया जा रहा है। असल समस्या यह है कि कई मरीजों को इन्फेक्शन अधिक होने के कारण आक्सीजन वाले बेड या आईसीयू की जरूरत पड़ रही है और उसके लिए एक भी बेड उपलब्ध नहीं है। इसके चलते ऐसे सभी मरीजों के परिजनों की उम्मीद कोविड केयर सेंटर पर टिक गई और उनको लगने लगा कि यहां पर बेहतर सुविधा के साथ इलाज हो जाएगा। हालांकि इसको कोविड केयर सेंटर के लिए बार-बार यह कहा जा रहा है कि यहां पर किसी भी गंभीर मरीज को भर्ती नहीं कर सकते, क्योंकि यह हास्पिटल (hospital) नहीं है। सिर्फ उन मरीजों को ही भर्ती किया जाएगा, जिनके पास होम आइसोलेशन की सुविधा नहीं है। कोविड केयर सेंटर की सारी व्यवस्थाओं से जुड़े डॉ. निशांत खरे का कहना है कि आने वाले दिनों में जब ऑक्सीजन (Oxygen), इंजेक्शन से लेकर अन्य सुविधाएं पड़ेगी, तब चिकित्सीय सलाह से कुछ और निर्णय लिए जा सकेंगे। फिलहाल तो ए सिम्टोमेटिक यानी कम लक्षण वाले मरीजों की ही भर्ती यहां की जा रही है। कल रात तक 178 कम लक्षण वाले मरीजों को भर्ती किया गया। वहीं दूसरी तरफ शहर के अलावा आसपास के इलाकों से भी उन मरीजों के परिजनों के फोन आने लगे हैं, जिन्हें बेड उपलब्ध नहीं हो रहा है। उनकी बार-बार यही गुहार है कि आप तो सिर्फ भर्ती कर लो, ऑक्सीजन सिलेंडर हम ले आएंगे, लेकिन फिलहाल इस तरह के मरीजों को यहां भर्ती किया ही नहीं जा सकता है। सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ. अनिल डोंगरे, और डॉ. अमित मालाकर का कहना है कि सेंटर पर किसी भी मरीज को सीधे भर्ती नहीं किया जा रहा है। रजिस्ट्रेशन के बाद आरआरटी टीम द्वारा मरीज के घर जाकर उसका परीक्षण किया जाता है और अगर वह सेंटर में भर्ती किए जाने के पात्र है, तब ही उसे यहां लाया जाता है। कुछ मरीज ऐसे भी रहे, जिनका घर तो ऑक्सीजन (Oxygen) लेवल 95-96 तक था, लेकिन सेंटर तक लाने पर घटने के चलते उन्हें फिर कोविड चिन्हित अस्पतालों में भेजना पड़ा। अभी सेंटर में 600 बेड शुरू किए गए हैं और इतने ही बेड बढ़ाने का काम भी रात-दिन चल रहा है। दरअसल सेंटर को मिली पब्लिसिटी के कारण गंभीर मरीजों के परिजनों में भी इसको लेकर उम्मीद बंध गई।
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