नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) कहा कि ”हमारे संविधान में (In Our Constitution) प्रस्तावना की शुरूआत में (At the Beginning of the Introduction) जो वी द पीपुल लिखा है (Wrote We the People), ये केवल तीन शब्द नहीं हैं (It’s Not Just Three Words) । वी द पीपुल एक आह्वान है (We the People is a Call), एक प्रतिज्ञा है और एक विश्वास है (A Pledge and A Belief) । संविधान में लिखी यह भावना उस भारत की मूल भावना है जो दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है, मदर ऑफ डेमोक्रेसी रहा है।” वे शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस समारोह में बोल रहे थे ।
पीएम ने खुशी जाहिर की, कि लोकतंत्र की जननी होने के नाते देश संविधान के आदर्शों को मजबूत कर रहा है और जनहितैषी नीतियां देश के गरीबों और महिलाओं को सशक्त बना रही हैं। उन्होंने कहा कि आम नागरिकों के लिए कानूनों को आसान और सुलभ बनाया जा रहा है और न्यायपालिका समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रही है।
प्रधानमंत्री ने 14 साल पहले भारत जब अपने संविधान का पर्व मना रहा था, उसी दिन मानवता के दुश्मनों ने भारत पर सबसे बड़ा आतंकी हमला किया था। पीएम मोदी ने याद किया कि 14 साल पहले 26 नवंबर को भारत ने मानवता के दुश्मनों द्वारा अपने इतिहास के सबसे बड़े आतंकवादी हमले का सामना किया था। उन्होंने मुंबई में हुए कायराना आतंकी हमले में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि भारत की मजूबत होती अंतरराष्ट्रीय छवि के बीच दुनिया हमें उम्मीद की नजरों से देख रही है। उन्होंने कहा कि यह देश जिसके बारे में कहा जाता था कि वह बिखर जाएगा। आज यह देश पूरे सामर्थ्य से आगे बढ़ रहा है। इन सबके पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर भारत जी20 की अध्यक्षता हासिल करने जा रहा है और उन्होंने एक टीम के रूप में दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा और प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की पहचान को और मजबूत करने की जरूरत है। समानता और अधिकारिता जैसे विषयों की बेहतर समझ के लिए युवाओं में संविधान के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, पीएम ने उस समय को याद किया जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था और देश के सामने जो परिस्थितियां थीं। उन्होंने कहा, उस समय संविधान सभा की बहस में क्या हुआ था, हमारे युवाओं को इन सभी विषयों की जानकारी होनी चाहिए।
युवा केंद्रित भावना को रेखांकित करते हुए पीएम ने कहा कि संविधान अपने खुलेपन, भविष्यवादी होने और आधुनिक दृष्टि के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारत की विकास गाथा के सभी पहलुओं में युवा शक्ति की भूमिका और योगदान को स्वीकार किया। पीएम ने जोर देकर कहा कि आजादी के अमृत काल में यह भी देश की एक अहम जरूरत है। मुझे आशा है कि संविधान इस दिशा में हमारे संकल्पों को और अधिक ऊर्जा देगा। हमारी संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं। इन महिलाओं के योगदान की चर्चा कम ही हो पाती है। जब युवा इसे जानेंगे तो उन्हें अपने सवालों का जवाब खुद ही मिलेगा।
2015 से, 1949 में संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों की भी शुरूआत की, जिसमें वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, जस्टिस मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और एस3डब्ल्यूएएस वेबसाइट शामिल है।
इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ डी वाई चंद्रचूड, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. भघेल, भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह के साथ शीर्ष अदालत के न्यायाधीश और बार के सदस्यों ने भाग लिया।
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