नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (Dr. Mohan Bhagwat, Sarsanghchalak of Rashtriya Swayamsevak Sangh) ने रविवार को एक कार्यक्रम में सेवा के महत्व को रेखांकित करते हुए लोगों से अपनी क्षमता के अनुसार और अपने दायरे में सेवा कार्य करने को प्रेरित किया। डॉ. भागवत (Dr. Mohan Bhagwat) ने सेवा को मनुष्य की मनुष्यता का स्वभाविक आविष्कार बताते हुए कहा कि संवेदना ही मनुष्य को नर से नारायण बनाती है। हम भारत के लोग इस देश में जन्मे सभी लोगों को अपना बंधु मानते हैं और इसलिए हम सेवा कार्य करते हैं। यही कारण है कि दुनिया के सबसे अधिक संत महापुरुषों ने भारत भूमि पर जन्म लिया। वह किसी को अपने मार्ग पर नहीं चलाते बल्कि उन्हें विश्व की भलाई के प्रेरित करते हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने सम्मानित जनों को ‘सेवा वीर’ की उपाधि दी और कहा कि हमें उनसे प्रेरणा और मार्गदर्शन लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वार्थ छोड़कर सेवा कार्य करना बेहद कठिन होता है। हमें केवल ‘जय श्रीराम’ नहीं कहना उनके जैसे कार्य भी करना है।
उन्होंने शास्त्रों के माध्यम से उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार दीपों में दीप रत्नदीप होता है, हमें भी वैसा ही बनना चाहिए। रत्नदीप स्वयं से प्रकाश से प्रज्ज्वलित होता है और निरंतर एक समान बिना किसी बाहरी आंतरिक कारण के प्रकाश देता रहता है। उसी प्रकार सेवा कार्य भी करना चाहिए। सेवा कार्य किसी स्वार्थ के कारण या किसी मजबूरी में नहीं होना चाहिए।
डॉ. भागवत ने खैराती लाल खन्ना को निःस्वार्थ सेवा का जीवंत उदाहरण बताया और कहा कि उन्होंने स्वयं को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया और अपनी स्नेहपूर्ण वाणी से अपने परिवारजनों को प्रेरित किया। इसी का परिणाम है कि उनकी आने वाली पीढ़ियां भी इसी कार्य में लगी हुई हैं। अगर सभी लोग ऐसा करें तो हमारी आने वाली पीढ़ी कभी भटक नहीं सकती।
कार्यक्रम का आयोजन संत ईश्वर फाउंडेशन और सेवा भारती के सहयोग से किया गया। इस दौरान स्मारिका ‘सेवार्चन’ का विमोचन भी किया गया। डॉ. भागवत ने जिन लोगों को सम्मानित किया उनमें प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर के 92 वर्षीय सुकुमार राय चौधरी, कर्नाटक के शांताराम, मेघालय के अर्णब हजोंग, झारखंड की राजधानी रांची के निवासी मेधा ओरांव, महाराष्ट्र के अमरावती जिले की रहने वाली डॉ. निरुपमा देशपांडे, हरियाणा के धर्मवीर चहल, कर्नाटक के मैसूरू निवासी एपी चंद्रशेख शामिल हैं।
दक्षिण दिनाजपुर के निवासी सुकुमार राय चौधरी पिछड़े वर्गों की सेवा में निरंतर जुटे हुए हैं। कर्नाटक के शांताराम ने वर्ष 1988 में बिना किसी के सहयोग से वनवासी कल्याण हॉस्टल शुरू किया। वहीं, हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर चहल ने गायों की नस्ल सुधारने और जैविक खेती के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह कार्यक्रम ऐसे लोगों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया है, जो बिना किसी अपेक्षा के समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य में लगे हुए हैं। पूरे देश में ऐसे लोग कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वयं की प्रेरणा से विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य करने वाले लोग ही सही मायने में भारत माता के असली संतान हैं।
इस दौरान उन्होंने हाल ही में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के तौर पर मानने के केंद्र सरकार के फैसले का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश के जनजातीय अंचल के लोग सीमावर्ती क्षेत्रों में रहते हैं। उनके सहयोग से देश की सीमाएं सुरक्षित की जा रही हैं। देश के जनजातीय लोगों को आगे बढ़ने से ही देश असल में आगे बढ़ेगा।
उल्लेखनीय है कि संत ईश्वर फाउंडेशन के पुरस्कारों की चयन समिति में प्रमुख रूप से सिक्किम हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, वरिष्ठ पत्रकार एवं हिन्दुस्थान समाचार के समूह संपादक रामबहादुर राय, वरिष्ठ पत्रकार जवाहरलाल कौल और स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक एस. गुरुमूर्ति शामिल हैं। (हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved