नई दिल्ली। बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंसा (violence) का दौर अभी भी जारी है। भीषण आगजनी (Massive arson) के बीच हालात बेहद खराब हो गए हैं। शेख हसीना (sheikh hasina) के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा (resign) देने और देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं। पड़ोसी देश की मौजूदा हालात पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Congress MP Shashi Tharoor) ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों को हमें जो पहला और सबसे महत्वपूर्ण संकेत देने की जरूरत है, वह यह है कि हम उनके साथ खड़े हैं। इसमें हमारा कोई स्वार्थ नहीं छिपा है।
शेख हसीना युग का अंत
शेख हसीना और बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ‘यह बहुत स्पष्ट रूप से शेख हसीना युग का अंत है, इसमें कोई संदेह नहीं है। वह 76 साल की हैं और मुझे नहीं लगता कि वह निर्वासन में बैठकर सत्ता में वापसी की योजना बना रही हैं, यह नासमझी होगी।’
भारत ने हर सरकार के साथ निष्पक्षता से काम किया
कांग्रेस सांसद ने आगे कहा, ‘हमने पिछले आधी सदी में मुक्ति आंदोलन से जुड़ी ताकतों, शेख मुजीबुर रहमान और अब उनकी बेटी के बीच लंबे समय तक चलने वाला नाटक देखा है। दूसरी तरफ, लोग सेना से और कुछ हद तक बांग्लादेश के भीतर अधिक इस्लामी ताकतों से जुड़े हुए हैं। बांग्लादेश कभी पूर्वी पाकिस्तान हुआ करता था। उस समाज के कुछ हिस्सों में इस्लामी उत्साह के लिए एक निश्चित आधार है। भारत ने हर सरकार के साथ निष्पक्षता से काम किया है, यहां तक कि उन सरकारों के साथ भी जो हमारे प्रति खुले तौर पर मित्रवत नहीं थीं। मुझे लगता है कि हमें ठीक उसी काम को जारी रखना होगा।’
मदद करने के लिए तैयार रहें
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें खुद को उनकी मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए। भारत को हर किसी को आश्वस्त करना चाहिए कि हम एक अमित्र शक्ति नहीं हैं और बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, उस पर हावी होने या नियंत्रित करने की हमारी कोई इच्छा नहीं है। हम मददगार बनना चाहते हैं। मेरा मानना है कि यह उस तरह का संदेश होगा, जिसे सार्वजनिक और निजी तौर पर दोनों तरह से देना चाहिए।’
जहां तक भारत का सवाल…
बांग्लादेश के बिगड़े हालातों पर कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘जहां तक भारत का सवाल है, हमें बांग्लादेश के लोगों को पहला और सबसे महत्वपूर्ण संकेत यह देने की जरूरत है कि हम उनके साथ खड़े हैं। इसमें भारत का कोई अन्य निहित स्वार्थ नहीं है। हिंदुओं के घरों, मंदिरों और व्यक्तियों पर हमलों की कुछ परेशान करने वाली खबरें आ रही हैं। हम सभी ने कल लूटपाट की तस्वीरें देखीं। हो सकता है कि कुछ दिनों में स्थिति शांत हो जाए और स्थिर हो जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो शरणार्थियों के हमारे देश में आने का भी खतरा है और यह गंभीर चिंता का विषय होगा।’
अंतरिम सरकार में कौन होगा?
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि हमारे उच्चायुक्त और हमारे कर्मचारी सुरक्षित हैं और स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। हम अभी भी नहीं जानते कि अंतरिम सरकार में कौन होगा। जमात-ए-इस्लामी के बढ़ते प्रभाव के बारे में भारत में कुछ चिंताएं समझ में आती हैं, जिसने अतीत में भारत के प्रति बहुत शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाया है और चीन और पाकिस्तान द्वारा संभावित हस्तक्षेप भी चिंता बढ़ा सकता है। हम एक अस्थिर या अमित्र पड़ोसी नहीं चाहते।’
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