नई दिल्ली। डीएमके (DMK) नेता वी सेंथिल बालाजी (V Senthil Balaji) को कैश-फॉर-जॉब घोटाले (Cash-for-Jobs Scams) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले (job Money Laundering Case) में जमानत मिलने के कुछ दिनों बाद तमिलनाडु सरकार में मंत्री (Minister) बनाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी हैरानी जताई। सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों पर दबाव बनाने की आशंका जताने वाली याचिका पर सुनवाई की सहमति दे दी। हालांकि, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बालाजी को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के 26 सितंबर के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
बालाजी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी अदालत में पेश हुए। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि, ‘हमने आपको जमानत दी और कुछ दिनों बाद आप मंत्री बन गए। कोई भी व्यक्ति ये सोच सकता है कि अब वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के रूप में गवाहों पर दबाव होगा। ये क्या हो रहा है?’ न्यायमूर्ति ओका ने आगे कहा कि अदालत जमानत के फैसले पर कोई नोटिस जारी नहीं करेगी, लेकिन इस पर सुनवाई होगी कि क्या अब गवाहों पर दबाव होगा। पीठ ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख तय की है।
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