इंदौर। इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार द्वारा नामांकन वापस लेने के बाद भले ही भाजपा का रास्ता आसान हो गया हो, लेकिन पहले और दूसरे चरण में मध्यप्रदेश की कई सीटों पर मतदान के कम प्रतिशत के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नए सिरे से लामबंद हो गया है। संघ ने इंदौर के घटनाक्रम के बाद अपने स्वयंसेवकों को यह संदेश दिया है कि राजनीतिक उठापटक से हमें कोई मतलब नहीं, हम तो अपने अभियान में लगे रहो। राष्ट्रहित में शत-प्रतिशत के मतदान के अपने अभियान को संघ बुधवार से गति देगा।
इंदौर के घटनाक्रम के बाद संघ के पास यह फीडबैक भी है कि आम जनता में इसकी अच्छी प्रतिक्रिया नहीं है और वह मतदान से दूरी बना सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा का एक बड़ा वर्ग भी ताजा घटनाक्रम से खुश नहीं है और इनकी नाराजगी भी मतदान के प्रतिशत को प्रभावित कर सकती है। इसी से निपटने के लिए संघ ने नए सिरे से तैयारी की है। इंदौर-उज्जैन संभाग की सीटों पर फोकस करते हुए संघ ने अपने स्वयंसेवकों को निर्देशित किया है कि वे राष्ट्रहित में मतदान और शत-प्रतिशत मतदान के लिए पूरी ताकत से लग जाएं और अगले 10 दिन इसी काम पर फोकस करें। संघ अपने इस अभियान के साथ ही एक राष्ट्रीय वोट बैंक का निर्माण करना चाहता है, जो आने वाले समय में उसकी एक बड़ी ताकत बनेगा। संघ के बड़े पदाधिकारी चाहते हैं कि मतदाताओं को जागरूक करने के अभियान के लिए उनके जो स्वयंसेवक मैदान में निकलें, वे लोगों के बीच इस बात को प्रमुखता से रेखांकित करें कि संघ समाज के लिए क्या-क्या कर रहा है। हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों पर पिछले 10 साल में जो काम हुए हैं, वे भी इन 10 दिन में जनता के पास पहुंचाए जाएंगे।
संघ को भी भनक नहीं लगी
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला की अगुवाई में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम द्वारा नामांकन वापस लेने और भाजपा में शामिल होने की संघ को भी भनक नहीं लग पाई। सामान्यत: भाजपा के नेता इस तरह के मामले में पहले संघ को भरोसे में ले लेते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। भविष्य में होने वाली संघ और भाजपा की समन्वय बैठक में यह मुद्दा उठ सकता है।
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