जोधपुर: अनुसूचित जाति-जनजाति की ओर से आज भारत बंद का ऐलान किया गया है. इसके तहत बुधवार सुबह से ही पुरे देश समेत राजस्थान के जोधपुर के कई हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इसी क्रम में रैली और विरोध प्रदर्शन को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस को तैनात किया गया है. शहर के बाजार पूरी तरह से बंद हैं, सड़कें विरान हैं. हालांकि, जोधपुर में भील और वाल्मीकि समाज ने बंद का समर्थन नहीं किया.
भारत बंद को लेकर जोधपुर के मुख्य शहर, भीतरी शहर और आसपास के इलाकों में बाजार पूरी तरह से बंद रहे, लेकिन भील और वाल्मीकि समाज ने बंद का समर्थन नहीं किया. इन दोनों समाज के लोगों का कहना है कि ओबीसी वर्ग में भी क्रिमिनल और नॉन क्लीनर जैसे नियम हैं. संविधान में आरक्षण मिलने के बाद भी ऐसी कई जातियां हैं जो आजादी के 70 सालों बाद भी इसका लाभ नहीं ले पा रही हैं. ऐसे कई गांव हैं जहां के लोगों के आधार कार्ड तक नहीं बने हैं.
जिस तरह से राजस्थान के आदिवासी जिले डूंगरपुर और बांसवाड़ा में टीएसपी लागू है उन्हें भी आरक्षण की अलग से व्यवस्था दी गई है, तो हर क्षेत्र में ऐसी जातियां जिनको आरक्षण का लाभ नहीं मिला उनको अलग से वर्ग में बांटा जाए और ना आरक्षण मिले तो इसमें कुछ गलत नहीं है. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं यह वो लोग हैं जिनके दादा भी IAS थे और पिता बड़े पदों पर रह चुके हैं. अब उनके पोते भी बड़े पद पर रहना चाहते हैं. राजस्थान में रेगिस्तान जनजाति के लिए सुप्रीम कोर्ट के इस वक्तव्य से अच्छा कुछ नहीं हो सकता कि उन्हें विशेष वर्ग में आरक्षण मिले समाज के सभी वर्गों का समान रूप से उत्थान होना चाहिए.
भील समुदाय ने आगे कहा कि ऐसी कई पिछड़ी जातियां हैं जिनके समाज से कोई भी आईएस या आरएस आज तक नहीं बन पाया. उन्हें अगर इस विशेष वर्ग में आरक्षण मिलता है तो उनका भी उत्थान हो सकेगा. राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में भील, हरिजन, कालबेलिया और ऐसी बहुत सी छोटी-छोटी जातियां हैं जिन्हें आजादी के बाद से लेकर अबतक आरक्षण का लाभ नहीं मिला. इसलिए हम बंद का समर्थन नहीं करते और सुप्रीम कोर्ट के व्यक्तव्य का स्वागत करते हैं.
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