बंगलूरू। कर्नाटक (Karnataka) में इन दिनों घोटालों (Scandals) का मुद्दा छाया हुआ है। मुदा और वाल्मिकी कॉरपोरेशन घोटाले को लेकर कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार (Siddaramaiah Government) विपक्ष के निशाने पर है। अब कर्नाटक में एक नए घोटाले के आरोप लग रहे हैं और इस बार निशाने पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार है। दरअसल, कोरोना (Covid) महामारी के दौरान फंड में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं।
इस कथित घोटाले में जस्टिस जॉन माइकल डी कुन्हा ने सरकार को एक प्राथमिक रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट के बारे में जब पूर्व सीएम और वरिष्ठ भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह इस तरह के आरोप से बिल्कुल परेशान नहीं हैं। येदियुरप्पा ने कहा, ‘मैं ऐसे किसी भी आरोप से बिल्कुल भी परेशान नहीं हूं। हम इसके परिणाम भुगतेंगे। एक अदालत भी है। मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई समस्या है।’
कर्नाटक विधानसभा उपचुनावों पर कर्नाटक के पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने कहा, ‘मुझे 100 फीसदी यकीन है कि हम लगभग तीनों सीटें जीतने जा रहे हैं क्योंकि मैं तीनों जगहों पर गया हूं। माहौल बहुत अच्छा है। भ्रष्टाचार के इतने सारे आरोपों के कारण लोग मौजूदा सरकार से खुश नहीं हैं। इसलिए, मुझे 100 फीसदी विश्वास है कि हम लगभग सभी तीन सीटें जीतने जा रहे हैं।’
कोरोना के समय कर्नाटक में भाजपा की बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे, ऐसे में कोरोना फंड में गड़बड़ी का आरोप पूर्व की भाजपा सरकार पर लग रहा है। आरोप है कि करोड़ों रुपये के फंड की कथित हेराफेरी की गई। मीडिया रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि जस्टिस कुन्हा की समिति को घोटाले से जुड़ी कई फाइलें गायब मिली हैं। राज्य में कोरोना के दौरान कुल 13 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई आंकड़ा नहीं बताया गया है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि कोरोना फंड में से करीब एक हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई।
घोटाले की जांच रिपोर्ट को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी पेश किया जा सकता है। वहीं सरकार ने जस्टिस कुन्हा समिति का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया था ताकि अंतिम रिपोर्ट पेश की जा सके। एक हजार पन्ने की जस्टिस कुन्हा समिति की रिपोर्ट का अब सरकारी अधिकारियों द्वारा विश्लेषण किया जाएगा और एक महीने के भीतर सरकार को पेश किया जाएगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved