नई दिल्ली: भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने क्रिसमस के मौके पर पुंछ आतंकी हमले के शहीदों को याद किया. क्रिसमस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें उन लोगों को नहीं भूलना चाहिए जो हमारे लिए सीमा पर तैनात हैं. उन्होंने कहा, ‘हम बहुत खुशकिस्मत हैं कि हम यहां सुरक्षित हैं और खुशियां मना रहे हैं. लेकिन इस समय हमें सीमा पर तैनात अपने जवानों और लोगों की जान बचाने में जुटे डॉक्टर्स जैसे लोगों की भी याद रखना चाहिए.’ बता दें कि इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज भी मौजूद थे.
सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित क्रिसमस कार्यक्रम में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूंछ एनकाउंटर में शहीद हुए जवानों को याद किया और कहा कि हमने अपनी सेना के चार जवानों को खो दिया. आज जब हम क्रिसमस मना रहे हैं तो हमे अपने उन जवानों को नहीं भूलना चाहिए, जो सीमा पर मौजूद हैं. ये वो जवान हैं, जो देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर देते हैं. उन्होंने कहा कि मुंबई में स्कूल के दिनों में जो बात मैंने सीखी, वो थी- देशभक्ति की भावना. देश हम सबसे बढ़कर है. हम देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर हम अपना जीवन भी बलिदान कर सकते हैं, जैसे हमारे आर्म्ड फोर्सज के जवान करते हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘क्रिसमस मनाते हुए हमें उन डॉक्टर और नर्स को नहीं भूलना चाहिए जो गम्भीर रुप से बीमार मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ये लोग अपने परिवार के साथ नहीं हैं. हम खुशकिस्मत हैं कि इस मौके पर हम अपने घरवालों के साथ हैं. हम वकील और जजों के लिए सबसे पवित्र पुस्तक देश का संविधान है. संविधान हमें सिखाता है कि देश के नागरिक के तौर पर हम एक हैं और हमे देश को बेहतर बनाना है.’
चीफ जस्टिस ने वकीलों से आग्रह किया कि बिना खास जरूरत के वो सुनवाई टालने के आग्रह न करें. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कोर्ट आने वाले लोगों की जररूतों को समझना होगा. बहुत ज़रूरी पर केस को स्थगन करने का कारण समझ में आता है, पर 4000 से ज़्यादा एडजर्नमेंट स्लिप का कोई औचित्य नहीं है. हमें चाहिए कि हम समाज में हंसी का पात्र न बने. मैं आभारी हूं कि इस साल बार के सहयोग से 52 हज़ार केस का निपटारा करने में सुप्रीम कोर्ट सफल रहा है. अगले साल हम इससे भी अधिक केस का निपटारा हो सके, वो लक्ष्य हमे रखना चाहिए.
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