नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का रक्षा उत्पादन वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। अब भारत 90 से अधिक मित्र देशों को हथियारों और सैन्य उपकरणों का निर्यात कर रहा है। भारतीय सशस्त्र बल अब भारत में बने हथियारों का उपयोग कर रहे हैं और देश वैश्विक रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में तेजी से उभर रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एनडीए सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की 10वीं वर्षगांठ पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा एक पोस्ट में ये बात लिखी।
राजनाथ सिंह ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘चतुर नेतृत्व’ के तहत सरकार ने देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के नजरिए से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, ‘तब से दस साल बाद, रक्षा क्षेत्र सहित हर क्षेत्र में कई सुधार किए गए हैं। भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में उभर रहा है।’ राजनाथ सिंह ने बताया पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने और विशेष रूप से चीन के साथ सीमा पर सैन्य तैयारियों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
भारत का रक्षा निर्यात 2023-24 में पहली बार 21,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया और रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में इसे बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है। भारत वैश्विक स्तर पर हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। अनुमान के अनुसार, भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा 2029 तक पूंजीगत खरीद में लगभग 130 अरब अमरीकी डॉलर खर्च करने का अनुमान है। सरकार आयातित हथियारों पर निर्भरता कम करना चाहती है और इसी वजह से उसने घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने का फैसला किया है।
रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में रक्षा विनिर्माण में 25 अरब अमेरिकी डॉलर (1.75 लाख करोड़ रुपये) का कारोबार करने का लक्ष्य रखा है। मई 2020 में, सरकार ने स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने की घोषणा की। सरकार विशिष्ट मामलों के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देती है।
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