भोपाल। दिगम्बर जैन धर्म के शीर्ष संतों में शुमार आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज की कल शाम अचानक समाधि हो गई। आचार्यश्री राजस्थान के बारां शहर में चातुर्मास कर रहे थे। कल भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में उनके सानिध्य में विशेष पूजन एवं लाड़ू चढ़ाने का आयोजन हुआ। आचार्यश्री ने प्रवचन भी दिए। शाम 6 बजे नमोकार मंत्र का जाप करते हुए उन्होंने देह का त्याग कर दिया। अचानक उनकी समाधि की खबर से देशभर में जैन समाज में शोक की लहर फैल गई। आचार्यश्री ने मई 2007 में भोपाल के प्रोफेसर कॉलोनी दिगम्बर जैन मंदिर की पंच कल्याणक प्रतिष्ठा कराई थी।
मुनि संघ सेवा समिति के अध्यक्ष मनोहरलाल टोंग्या, महामंत्री नरेन्द्र जैन वंदना एवं रवीन्द्र जैन पत्रकार ने बताया कि यह संयोग है कि 1957 में आचार्यश्री ज्ञान सागरजी महाराज का जन्म महावीर जयंती के दिन हुआ था। 2020 में भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के दिन ही आचार्यश्री का भी निर्वाण हुआ। निश्चित तौर पर वे एक पवित्र आत्मा थे। उन्होंने अपने जीवन में सराक जाति का उत्थान किया और उन्हें वर्षों बाद जैन धर्म और समाज में जोड़ा। आचार्यश्री ने देशभर में जैन समाज को एकजुट करने, उन्हें दान और त्याग से जोडऩे का अनुपम कार्य किया था। आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज समाज के सभी वर्गों, अधिकारियों, वकीलों, डॉक्टरों, पत्रकारों आदि के सम्मेलन करके उन्हें समाज की गतिविधियों से जोड़े रखते थे। आचार्यश्री को भोपाल से काफी लगाव था। 2007 में वे लगभग छह माह भोपाल में ठहरे थे तब उन्होंने विदिशा रोड पर बड़ी गौशाला के लिए भी आशीर्वाद दिया था।
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