भोपाल। भोपाल (Bhopal) में सीवरेज एवं ड्रेनेज सिस्टम (Sewerage And Drainage System) पर पिछले 5 साल में 420 करोड़ रुपए तक खर्च हो चुके हैं। वहीं हर साल बारिश से पहले निगम के 500 से अधिक कर्मचारी पोकलेन-जेसीबी (Poklen-JCB) जैसी मशीनों की मदद से नालों की सफाई भी करते हैं। इतना सब होने के बावजूद बारिश के दिनों में शहर के कई इलाके जलमग्न हो जाते हैं। इस बार भी ऐसे ही हालात बन रहे हैं। तेज बारिश होते ही अवधपुरी (Awadhpuri), कोलार (Kolar), नारियलखेड़ा (Nariyalkheda) आदि इलाकों में सड़क से लेकर घर-दुकानों तक में पानी भर रहा है।
दूसरी ओर निगम अधिकारियों का दावा है कि जलभराव न हो, इसलिए दो महीने के भीतर 500 से अधिक नालों की सफाई करवा चुके हैं, लेकिन बुधवार को फिर हुई तेज बारिश ने हकीकत सामने ला दी। ऐसे ही हालात आगे भी बनेंगे और लोगों के सामने परेशानी खड़ी होगी।
जलभराव की वजह
राजधानी में जलभराव की वजह है अधिकांश नालों पर अतिक्रमण है। इन्हें निगम हटा नहीं पाया है। वहीं कई कॉलोनियों में सीवेज सिस्टम खस्ताहाल है। इस कारण गंदा पानी घरों में घुस जाता है। निगम ने बड़े नालों की सफाई तो कर दी, पर नए-पुराने शहर के छोटे नाले-नालियों की बेहतर ढंग से सफाई नहीं की।
नालों की सफाई कराई
निगमायुक्त केवीएस चौधरी कोलसानी का कहना है कि शहर में 500 से अधिक नाले हैं। जिनकी बारिश पूर्व सफाई कराकर अतिक्रमण हटाया गया। ताकि जलभराव की स्थिति निर्मित न हो। फिलहाल जलभराव की गंभीर स्थिति की जानकारी नहीं मिली है।
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