इंदौर। जल संरक्षण (water conservation) के लिए अब निगम (corporation) बड़े पैमाने पर काम शुरू कर चुका है। इसी के चलते शहर में 27 ऐसे स्थान चिह्नित किए गए हैं, जहां विशाल गड््ढे और ग्रामीण क्षेत्रों (rural areas) से लगे इलाकों में पुरानी पाल बनी हुई थी। वहां गहरीकरण कर बारिश (rain) का पानी सहेजने का काम होगा। इसे इस प्रकार से तैयार किया जाएगा कि वहां जमा हुआ पानी सीधे जमीन में जाएगा।
पिछले दिनों जल संवर्धन (water enrichment) और जल संरक्षण (water conservation) के लिए रहवासी संगठनों के साथ-साथ तमाम सामाजिक संगठनों की बैठक बुलाई गई थी। अब बारिश (rain) के पानी को सहेजने के लिए तालाब की चैनलों को साफ करने और उनका गहरीकरण करने का कार्य भी शुरू किया गया है। निगम अफसरों के मुताबिक इसके साथ-साथ अब तक वाटर रिचार्जिंग सिस्टम (water recharging system) लगवाने के लिए निगम के झोन पर एक हजार से ज्यादा आवेदन पहुंच चुके हैं। वाटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाने के लिए झोनलों पर ठेकेदारों की टीमें तैनात हैं और इसकी राशि भी तय कर दी गई है। वहीं दूसरी ओर शहर के 27 ऐसे स्थान, जहां कभी पाल अथवा विशाल गड््ढे हुआ करते थे, वहां वाटर रिचार्जिंग झोन बनाए जा रहे हैं। इनकी यह खासियत होगी कि वहां बारिश (rain) और अन्य स्रोतों से पानी तो जमा होगा, लेकिन वह सीधे जमीन में जाएगा और ज्यादा समय तक पानी उपलब्ध नहीं रहेगा।
सर्विस सेंटर वालों को मुफ्त मिलेगा पानी
ट्रीटेड वाटर (treated water) के शहर में 48 हाइड्रेंट बनाए गए हैं और सभी सर्विस सेंटर वालों को चेतावनी पत्र जारी किए गए हैं कि वे अपने यहां गाडिय़ों की सर्विसिंग के लिए नर्मदा अथवा बोरिंग के पानी का उपयोग कतई न करें, अन्यथा उनके खिलाफ कड़ा जुर्माना करने के साथ-साथ अन्य कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सर्विस सेंटर संचालकों को निगम ने निर्देश दिए हैं कि वे ट्रीटेड वाटर के हाइड्रेंटों से अपने स्तर पर टैंकरों के माध्यम से पानी बुलवाएं और उस पानी से गाड़ी को धोया जाए। ट्रीटेड वाटर (treated water) के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं देना होगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved