नई दिल्ली: क्या मंगल पर मनुष्य का जीवन संभव है, इसकी खोज दुनिया कर रही है, लेकिन इसका कोई अभी तक साक्ष्य नहीं मिला है. इस बीच NASA ने बड़ा खुलासा किया है मंगल पर दुर्लभ क्षेत्र में कभी पानी की झीलें हुआ करती थीं. यह साक्ष्य नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने खोजे हैं. अमेरिका की इस अंतरिक्ष एजेंसी ने एक चट्टान की बनावट से अंदाजा लगाया और बताया कि पानी बड़ी मात्रा में मौजूद रही है, जिसके बारे में कभी कोई सोच भी नहीं सकता है.
शोधकर्ताओं में से एक ने कहा, “यह पानी और लहरों का सबसे अच्छा सबूत है जिसे हमने पूरे मिशन में देखा है.” कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में क्यूरियोसिटी के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट अश्विन वासवदा ने कहा कि रोवर पहले हजारों फीट की झील के जमाव पर चढ़ा, जिसके बाद जो सबूत मिले वो कभी नहीं देखे गए हैं.”
माउंट शार्प की तलहटी में नेविगेट कर रहा है रोवर
क्यूरियोसिटी रोवर 2014 से तीन मील ऊंचे पहाड़ माउंट शार्प की तलहटी में नेविगेट कर रहा है, जो कभी नदियों और झीलों से ढका हुआ था. पहाड़ परतों से बना हुआ है. सबसे नीचे सबसे पुराना और टॉप पर नया दिखाई देता है. जिसका अर्थ है कि ग्रह के इतिहास का अध्ययन करने के लिए क्यूरियोसिटी रोवर प्रभावी रूप से चक्कर लगा रहा है. प्राचीन मंगल ग्रह गर्म जलवायु और बहुत ज्यादा पानी के साथ पृथ्वी के अधिक समान बताया गया था, लेकिन अब यह एक जमाने वाला रेगिस्तान है.
पहाड़ के आधार से लगभग आधा मील ऊपर नई खोज में चट्टान की बनावट पाई गई, जो पहाड़ के बाकी हिस्सों से बाहर निकलने वाली डार्क चट्टान की एक पतली परत में संरक्षित है. यह इतना कठिन है कि रोवर ड्रिल नई कर पाया है. लहरदार चट्टान की बनावट पानी का संकेत है क्योंकि अरबों साल पहले एक उथली झील की सतह पर लहरें उठती थीं, जिससे समय के साथ निशान पड़ने लगते थे. नासा का कहना है कि यह क्षेत्र सूक्ष्मजीवों के लिए एक समृद्ध वातावरण प्रदान करता, यदि कोई अस्तित्व में होता.
10 से अधिक सालों से रोवर लगा रहा है चक्कर
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि गहरी चट्टान के और अधिक टुकड़े मिल सकते है जिसमें ड्रिल होना संभव है. रोवर ने कहीं और भी पानी के सबूत भी देखे हैं. यह आशा की जाती है कि क्यूरियोसिटी जो कि ग्रह की सतह पर 10 से अधिक सालों से सक्रिय है इस साल के अंत में घाटी पर एक और नजर डालेगा. रोवर माउंट शार्प का सर्वेक्षण करना जारी रखेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह शायद पानी का सबसे हालिया सबूत है जिसे हमने कभी देखा है.
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