गंजबासौदा। सृजन परिदृश्य साहित्यकार संघ आर्यसमाज के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पर्यावरण सप्ताह के अन्तर्गत आर्य समाज मन्दिर परिसर में विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता शिक्षाविद तेजनारान श्रीवास्तव एवं संचालन चन्द्रकुमार तारन संपादक सॄजन परिदृश्य व्दारा किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ रचनाकार अनिल जैन गीतकार ने महानगरों के रहवासियों की त्रासदी को इस तरह वयान किया। महानगरों में एक धुंध सा अक्सर छाया रहता है, सांसों में होता भारीपन मन घबराया सा रहता है। ओमप्रकाश आर्य अध्यक्ष नगर ईकाई आर्य समाज ने वृक्ष के महत्व को रेखांकित करते हुये कहा की वृक्षों से ही मिलता जीवन वृक्ष ही हैं जीवन आधार। वरिष्ठ रचना कार शिखर चंद्र शिखर ने पालिथिन सर्वनाशी सत्यानाशी कहा।
कवि कमलेश सोनी ने कहा की पेड़-पखेरू पर्वत-नदियाँ झरनों से गिरता शीतल पानी पर्यावरण पर निर्भर दुनिया बात सभी की जानी मानी। वरिष्ठरचनाकार रिषभ विंदास ने कहा की वायू-जल भूमि को मत कर गंदा नहीं तो बना बनाया है मौत का फन्दा। गीतकार ओपी प्रजापति का कथन था की अपने आंगन पेड़ लगाओ। शायर फहीम बासोदवी अपनी दिलकश आवाज में कहा इस तरह मुल्क को बचाना है रास्ता दुनिया को दिखाना है, ऊसर-बंजर भूमि को भाईहरि-भरीं मिल-जुल के बनाना है। आंगन के जिस आम को अम्मा ने बेटे की तरह पाला पोसा बेटों के बंटवारे में उस आम के कट जाने के दर्द को बयां करते हुये चन्द्रकुमार तारन संपादक सॄजन परिदृश्य ने कहा बेटों ने जाना कबवहु ने माना कब बंटवारे में आंगन का आम कट गया। आंगन ही बट गया, पक्षियों का रैन बसेरा मिट गया, अम्मा का कलेजा फट गया। इस अवसर पर भरत सराठे भारतीय, पंकज नामदेव, वैद्य राज निहाल सिंह पंथी, कवि महेन्द्र भार्गव, हरिनारान हरि, कमलेश वंसल, जयकुमार शीतल, ओपी प्रजापति, डॉ महेंद्र प्रताप मेहता, शायर अजीम भाई, शिव चरण विश्वकर्मा, सूर्य प्रकाश श्रीवास्तव ने भी जलवायु परिवर्तन प्रदूषण विश्व विनाशक युद्ध की विभीषिका पर अपने विचार साझा किये।