नई दिल्ली. कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता (Senior Leaders) मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar ) ने एक और किताब (book) लिखी है. इसमें उन्होंने अपनी राजनीतिक जीवन (political life) से जुड़े मामलों का भी विस्तार से जिक्र किया है. अपनी आगामी किताब ‘ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स’ (‘A maverick in politics’) पर बातचीत में अय्यर ने कहा, “मेरे राजनीतिक करियर की शुरुआत गांधी परिवार से हुई और खात्मा भी उन्हीं के द्वारा हुआ.” उन्होंने बताया कि पिछले 10 सालों से सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात नहीं हुई, राहुल गांधी से मिलने का मौका नहीं मिला और प्रियंका गांधी से फोन पर बातचीत होती है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने इंटरव्यू में कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के साथ अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक अनुभव शेयर किए. उनकी किताब ‘ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स’ जगरनॉट द्वारा प्रकाश किया जाना है, जिसमें अय्यर ने बताया कि दस साल में एक बार भी निजी तौर पर सोनिया गांधी से मिलने का मौका नहीं मिला, जबकि राहुल गांधी से सिर्फ एक बार ही मिल सके हैं.
अपनी किताब में अय्यर ने अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों, नरसिम्हा राव के समय, यूपीए I में मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल और उसके बाद के पतन का जिक्र किया है. उन्होंने खासतौर से यूपीए II के पतन की यादें किताब में लिखी है, की जब उनकी पत्नी ने टेलीविजन के सामने यह कह कर अपनी निराशा जताई थी कि “आज कोई घोटाला नहीं हुआ.”
अय्यर ने 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन का भी जिक्र किया और कहा कि यह एक नुकसानदेह कदम था. 1984 में 404 सीटों से 2014 में 44 सीटों पर गिरने तक कांग्रेस का प्रदर्शन दुखद और निराशाजनक रहा.
अगर 2012 में प्रणब मुखर्जी को बनाया गया होता पीएम…
अय्यर ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में यह भी माना कि अगर 2012 में प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया गया होता, तो 2014 की हार शायद इतनी शर्मनाक नहीं होती. उन्होंने अंदेशा जताया कि मनमोहन सिंह की जगह पर राष्ट्रपति का पदभार संभालने से प्रणब मुखर्जी की ऊर्जा और करिश्माई नेतृत्व कांग्रेस पार्टी और सरकार दोनों के लिए सकारात्मक साबित हो सकता था.
उन्होंने बताया कि 2013 में कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ कई आरोप लगाए गए, जो कभी कानूनी रूप से साबित नहीं हो सका. अय्यर ने कहा कि सरकार और पार्टी मीडिया के सवालों का सही ढंग से जवाब देने में सक्षम नहीं रहे, जिससे विपक्ष के आरोपों ने उनके भरोसे पर चोट की.
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला और अन्ना हजारे के नेतृत्व में ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन ने सरकार के चुनावी संभावनाओं पर संकट ला खड़ा किया था. रामलीला मैदान में अन्ना हजारे को अनशन की इजाजत न देने और बाद में उन्हें इजाजत देने की घटना को उन्होंने गलत कदम बताया.
‘बीजेपी में नहीं जाउंगा, कांग्रेस में ही रहूंगा’
आखिरी में उनका मानना है कि इन सभी घटनाओं ने पार्टी की सार्वजनिक छवि को धूमिल कर दिया और 2014 में चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने गांधी परिवार द्वारा अपने राजनीतिक करियर के खात्मे का जिक्र करते हुए कहा, “मैं मानता हूं कि ऐसा ही होता है… मुझे पार्टी से बाहर रहने की आदत हो गई है. मैं अब भी पार्टी का सदस्य हूं. मैं कभी भी इसमें बदलाव नहीं करूंगा और मैं निश्चित रूप से बीजेपी में नहीं जाऊंगा.”
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