नई दिल्ली (New Delhi)। अगर आप इंटरनेट (Internet) चलाने के लिए Google Chrome का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गूगल के ब्राउजर (Google’s browser) में एक कमी की वजह से दुनिया भर के 2.5 अरब यूजर्स पर खतरा मंढरा रहा है, हालांकि अब इससे जुड़ा मामला कोर्ट पहुंचा.
हालांकि, Google के खिलाफ एक मुकदमे से अब पता चला है कि कंपनी इनकॉग्निटो मोड में भी हमारे यूसेज को ट्रैक करती है. गूगल ने अपने इनकॉग्निटो मोड के पेज डिस्क्रिप्शन को भी चुपके से बदल दिया है. जो चिंता पैदा करता है कि प्राइवेट ब्राउजिंग ज्यादा प्राइवेट है भी या नहीं.
Google 2020 से 5 बिलियन डॉलर की कानूनी लड़ाई का सामना कर रहा है, जहां यूजर्स के एक ग्रुप ने आरोप लगाया कि क्रोम ब्राउजर इनकॉग्निटो में भी डेटा को ट्रैक करना जारी रखता है. हालांकि, कंपनी ने अदालत में इस बात को स्वीकार नहीं किया और अंततः Google ने यूजर्स को राशि का भुगतान करके मामले को सुलझा लिया.
विंडोज़ के लिए Google Chrome के लेटेस्ट वर्जन में, इनकॉग्नोड मोड के डिस्क्रिप्शन में अब लिखा है कि इस डिवाइस का इस्तेमाल करने वाले बाकी लोग आपकी गतिविधि नहीं देखेंगे, इसलिए आप अधिक प्राइवेट तरीके से ब्राउज कर सकते हैं. हालांकि, इससे ये नहीं बदलेगा कि वेबसाइट और उनकी सर्विसेज आपका डेटा कैसे कलेक्ट करती हैं, जिसमें गूगल भी शामिल है.
यहां गूगल साफ तौर पर मान रहा है कि गूगल इनकॉग्निटो मोड में भी आपके ब्राउजिंग यूसेज के कुछ एलिमेंट्स को ट्रैक कर सकता है. यानी इस मोड की प्राइवेसी को बढ़ाने की जगह कंपनी ने डिस्क्रिप्शन को अपडेट कर दिया है. जो साफ तौर पर बताता है कि ये मोड उतना भी प्राइवेट नहीं है, जितना प्राइवेट आप इसे सोचते हैं.
अभी भी ये साफ नहीं है कि इनकॉग्निटो मोड में किस-किस तरह का डेटा ट्रैक किया है. लेकिन यह समझते हुए कि कंपनी अब इसे छिपाने की कोशिश नहीं कर रही है. ट्रू प्राइवेट ब्राउजिंग एक्सपीरिएंस के लिए आप किसी और सर्च इंजन पर जा सकते हैं.
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