उज्जैन/नागदा। जिले में संचालित बहुराष्ट्रीय कंपनी लैंक्सेस इंडिया प्रा. लि. के प्रबंधन को मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक कार्यवाही विवरण के माध्यम से दिशा- निर्देश सूचना प्रेषित की है। इस निर्देश का परिपालन 15 दिनों की समय अवधि में पूरा नहीं करने पर पर्यावरण मुआवजा अधिरोपित करने की वैद्यानिक कार्यवाही की चेतावनी है।
जानकारी के अनुसार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशन में नागदा के चिन्हित गांवों में हैल्थ स्टेडी से क्षेत्र में भू- जल पर प्रदूषण के प्रभाव सबंधी आंकलन किया जा रहा है। क्षेत्र में माफियाओं के द्धारा लगातार उद्योग के वेस्ट नदी-नालों में ढोलने की शिकायतों के बाद बोर्ड का ध्यान मूल कारणों- निदानों पर पहुंचा है।
यह मप्र प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव ए.ए मिश्रा के हस्ताक्षर से जारी एक प्रदूषण नियंत्रण समीक्षा बैठक के बाद कार्यवाही विवरण में खुलासा हुआ । बैठक में लैंक्सेस यूनिट नागदा हेड संजयसिंह की मौजूदगी का भी उल्लेख है। कुल मिलाकर माफिया लोग उद्योग के वेस्ट मटेरियल को फेंकने के नाम पर कमाई कर रहे हैं, जबकि उद्योगों के वेस्ट मटेरियल को पीथमपूर जिला धार स्थित रामको कंपनी में डिस्पोज का प्रावधान है। माफिया इसे रास्ते में या नदी-नालों में फेंक रहे हैं। जिससे इलाके की भूमि प्रभावित हो गई। चंबल नदी प्रदूषित हो चुकी है। लैंक्सेस उद्योग में बड़ी मात्रा में हाईड्रोक्लोरिक एसिड बनता है।
क्या बोले बोर्ड क्षेत्रीय अधिकारी
बोर्ड के रीजनल अधिकारी एस.एन. द्धिवेदी से संपर्क करने पर उन्होंने इस बात की पुष्टि की हैकि हाइड्रोक्लोरिक एसिड के वेस्ट, बायप्रोडक्ट के सबंध में स्पष्टीकरण के लिए निर्देश दिए गए है। उन्होंने इस प्रकार की कार्यवाही का मूल कारण एसिड पर रोक लगाने का बोर्ड का उद़ेश्य बताया है। उनका कहना है कि हाईड्रोक्लोरिक एसिड को बाय प्रोडक्ट में या हैजार्ड वेस्ट में रखा जाए इसका निर्णय होना चाहिए। बोर्ड के स्थानीय अधिकारी इस विसंगति के कारण ऐसिड फेंकने वालों पर कार्यवाही नही कर पा रहे हैं। रूल्स बनाने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को हैं। इसलिए इस प्रकार की कार्यवाही की के लिए केंद्रीय बोर्ड ने कदम उठाया है।
टीम लेब हैदराबाद की रिपोर्ट
एक और जहां प्रदूषण विभाग हैल्थ स्टडी के माध्यम से नागदा क्षेत्र में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कार्य कर रहा, लेकिन मजेदार बात यह हैकि लैंक्सेस उद्योग के प्लांट विस्तारीकरण योजना के दस्तावेजों में संलग्र टीम हैदराबाद की एक रिपोर्ट में नागदा क्षेत्र में प्रदूषण को नकार दिया गया है। यहां तक जिन गांवों में प्रदूषण बोर्ड अब कार्य करेगा इन गांवों में से कुछ गांवों में टीम हैदराबाद ने जल मिट़टी एवं वायु में प्रदूषण नहीं होने की जानकारी दी है।
लैंक्सेस उद्योग में क्या और कितना उत्पादन
प्रमाणित दस्तावेजों के अनुसार हाइड्रोक्लोरिक एसिड 212400 मैट्रिक टन प्रतिवर्ष उत्पादन की अनुमति इस उद्योग को प्राप्त है। प्रबंधन यहां पर इस एसिड का उत्पादन 76300 और अधिक करने की अनुमति मांग रहा है। कुल 288700 मेट्रिक टन प्रतिवर्ष ऐसिड उत्पादन अनुमति के बाद संभव होगा। उत्पादन के मामले में तीसरे क्रम पर थायोनिल क्लारोइड 50 हजार टन प्रतिवर्ष वर्तमान मेंअनुमति है, जबकि दूसरे क्रम में बेंजाइल क्लोराइड का नाम है। वर्तमान में यह 547500 मेट्रिक टन प्रतिवर्ष बनाने की अनुमति है। इसका उत्पादन नई अनुमति के बाद कुल 80300 मेट्रिक टन हो जाएगा। उद्योग में इन उत्पादनों के अलावा बैजाइल अल्कोहल, बैजल्डीहाइड, डाईबेजिल ईथर समेत उत्पादन की लंबी सूची है। वर्तमान में सभी रसायनों की कुल मात्रा 4, 24,775 टन प्रतिवर्ष उत्पादन की अनुमति है। नई अनुमति के बाद यह आंकड़ा सभी रसायनों का कुल उत्पादन 6,04,200 मैट्रिक टन पहुंचने की जानकारी दस्तावेजों में हैं। एजेंंसी
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