नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली मे कोरोना का संक्रमण कम होता जा रहा है. हालांकि, मौतों का आंकड़ा अब भी डरा रहा है. गुरुवार को दिल्ली में कोरोना के 4,291 मामले सामने आए और 34 मरीजों की मौत हुई. संक्रमण दर 9.56% पहुंच गई है. दिल्ली सरकार के मुताबिक, इस महीने 27 दिन में 637 कोरोना मरीजों की मौत हो गई है. हालांकि, इनमें से ज्यादातर ऐसे थे जिनकी मौत का प्रमुख कारण कोविड नहीं था.
दिल्ली में कोरोना से होने वाली मौतों का विश्लेषण किया गया तो कई सारी बड़ी बातें निकलकर सामने आईं. आंकड़ों के मुताबिक, 13 से 15 जनवरी के बीच दिल्ली में 89 मरीजों की मौत हुई. इनमें से 36 फीसदी ही ऐसे थे जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ली थी.
असरदार रही वैक्सीन!
कोरोना मौतों को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि वैक्सीन अब तक असरदार साबित हुई है. क्योंकि ज्यादातर मौतें ऐसे लोगों की हुई है जिन्होंने वैक्सी नहीं थी. अधिकारियों ने बताया कि 13 से 25 जनवरी के बीच 438 मरीजों की मौत हुई. इनमें से 94 मरीज ही ऐसे थे जिनकी मौत का प्रमुख कारण कोरोना था.
अधिकारियों ने बताया कि इन 94 में से 5 ऐसे थे जो वैक्सीन लेने के लिए योग्य नहीं थे. वहीं, 57 ऐसे लोग थे जिन्होंने वैक्सीन नहीं थी, जबकि 32 ही ऐसे थे जिन्होंने वैक्सीन की पहली या दोनों डोज ली थी. अधिकारियों के मुताबिक, मरने वालों में 64% लोग ऐसे थे जो वैक्सीन लेने के लिए पात्र थे लेकिन उन्होंने वैक्सीन नहीं ली थी.
गंभीर बीमारी से पीड़ितों की गई जान
आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर उन लोगों की मौत हो रही है, जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक, 13 से 25 जनवरी के बीच 318 ऐसे मरीजों की मौत हुई है जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. ये वो लोग थे जिन्हें किडनी की समस्या, कैंसर या फेफड़ों की बीमारी थी. इसके अलावा ज्यादातर की उम्र 60 साल से ज्यादा थी.
एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जब किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाता है तो प्रोटोकॉल के मुताबिक उसका कोरोना टेस्ट किया जाता है. अधिकारी ने बताया कि कोरोना की पुष्टि होने के बाद अगर किसी की मौत हो जाती है तो उसे कोविड डेथ ही माना जाता है. हालांकि, इस महीने 637 मरीजों की मौत हुई है, लेकिन ज्यादातर ऐसे थे जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे.
दिल्ली में 79% सैंपल में ओमिक्रॉन की पुष्टि
दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जनवरी से 23 जनवरी के बीच जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए 2,503 सैंपल भेजे गए थे. इनमें से 79% में ओमिक्रॉन और 13.70% में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि हुई है. वहीं, 25 से 31 दिसंबर के बीच 863 सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग हुई थी. इनमें से 433 यानी 50% में ओमिक्रॉन मिला था.
नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) के मुताबिक, जनवरी में जितने सैंपल की जीनोमी सीक्वेंसिंग हुई, उनमें से 75 फीसदी ओमिक्रॉन वैरिएंट की पुष्टि हुई. अधिकारियों का कहना है कि दूसरी लहर की तुलना में तीसरी लहर में हुई ज्यादातर मौतों का कारण कोरोना नहीं है.
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