भोपाल। मध्य प्रदेश में निजी अस्पताल संचालकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यूनाइटेड प्राइवेट हॉस्पिटल डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार की तरफ से लंबित भुगतान नहीं करने पर 15 अप्रैल शाम 5 बजे से आयुष्मान योजना में मरीजों का इलाज बंद करने की चेतावनी दी है। यूनाइटेड प्राइवेट हॉस्पिटल्स डायरेक्टर्स एसोसिएशन के संरक्षक आरके पालीवाल ने कहा कि आयुष्मान योजना के तहत एक साल से ज्यादा समय के भुगतान पेडिंग है। शासन के पोर्टल पर कार्ड बन रहे हैं। जिनको फर्जी बताकर सरकार अस्पताल का भुगतान रोक रही है। मानवीय आधार पर कोविड के समय काम कराया और कानूनी आधार पर पेमेंट रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से तीन मांग है। पहली 31 मार्च 2023 तक का अस्पतालों का पेंडिंग भुगतान सरकार जारी करें। दूसरा आयुष्मान की योजना समिति में हमारा प्रतिनिधि को शामिल किया जाए। तीसरी यदि हमारी मांगों पर सरकार जल्द कोई निर्णय नहीं लेती है तो हमें भारी मन से 15 अप्रैल शाम पांच बजे से आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इलाज करना बंद करना पड़ेगा। क्योंकि हमारे पास मरीजों की सेवा करने के लिए पैसे ही नहीं है। पालीवाल ने बताया कि पूरे प्रदेश में करीब 600 करोड़ रुपए का निजी अस्पतालों का भुगतान पेंडिंग है। उन्होंने बताया कि रीवा क्षेत्र में 10 अप्रैल से अस्पताल संचालकों ने आयुष्मान कार्ड पर इलाज बंद कर कोर्ट का रास्ता अपनाया है।
622 अस्पताल आयुष्मान में रजिस्टर्ड
बता दें एमपी में 622 अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत रजिस्टर्ड है। हाल ही में तीन अस्पतालों पर आयुष्मान योजना में गड़बड़ी करने पर एफआईआर दर्ज की गई है। हाल ही में इंदौर के एक निजी अस्पताल में कागजों में मरीजों के इलाज करने का मामला सामने आया था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग सभी अस्पताल का ऑडिट भी करा रहा है।
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