नई दिल्ली। आज जमीअत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के एक प्रतिनिधि मंडल (Board Delegates) ने अपने अध्यक्ष मौलाना महमूद असअद मदनी की अगुवाई में वक्फ संशोधन बिल (Wakf Amendment Bill) 2024 पर अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के साथ बैठक की। यह बैठक सुबह 11 बजे से दोपहर तक संसद भवन (Parliament House) एनेक्सी के मुख्य समिति कक्ष में आयोजित की गई। बैठक के दौरान, प्रतिनिधि मंडल ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर कई महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर, जमीअत की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रऊफ रहीम ने विधेयक के संवैधानिक पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया।
जमीअत के प्रतिनिधि मंडल में कौन-कौन शामिल हुआ?
जमीयत उलमा ए हिंद ने जेपीसी में वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया। वहीं वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक का सभी विपक्षी सांसदों ने बहिष्कार किया। विपक्षी सांसद कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अनवर मणिप्पाडी की बातों से नाराज थे। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि अनवर जेपीसी की मीटिंग में वक्फ संशोधन बिल पर नहीं बल्कि दूसरा मुद्दों पर बात कर रहे थे।
वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक का विपक्षी सांसदों ने सोमवार को बहिष्कार किया। सदस्यों ने आरोप लगाया कि कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग और कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिप्पादी की बैठक में राय वक्फ विधेयक के बारे में नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अनवर कर्नाटक सरकार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर अनावश्यक आरोप लगा रहे हैं, जो समिति के अनुरूप नहीं है और स्वीकार्य नहीं है।
इस बैठक पर शिवसेना सांसद अरविंद सावंत का बयान भी सामने आया। उन्होंने कहा कि उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया है क्योंकि समिति सिद्धांतों के साथ काम नहीं कर रही है। सावंत ने कहा, “हमने बहिष्कार किया है क्योंकि समिति अपने सिद्धांतों और मानदंडों के साथ काम नहीं कर रही है। नैतिक और सैद्धांतिक रूप से वे गलत हैं।” विपक्षी सांसदों ने वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति के बारे में अपनी सभी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से संपर्क करने का फैसला किया है।
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