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    डॉक्टर या अधिकारी बनना चाहती थीं, फिल्मों में आ गई आशा पारेख

  • October 02, 2020


    ख्यात अभिनेत्री आशा पारेख का आज जन्मदिन
    बंगलूर के गुजराती परिवार में जन्मी आशा पारेख बचपन में आशा डॉक्टर बनना चाहती थीं, फिर उन्होंने आईएस अधिकारी बनने की सोची लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था वह अभिनय की राह पर चल पड़ी, पारेख ने अपने करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार फिल्म आसमान से की थी ।

    जुबली गर्ल आशा पारेख किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं, उन्होंने एक अभिनेत्री के तौर पर अपने करियर शुरु किया था। अभिनेत्री ने हिंदी फिल्मों के शुरुआती 50 दशक से लेकर आखिर 70 दशक तक पूरे फिल्म परिदृश्य में बदलाव कर डाला और वो गोल्डन युग की एक उल्लेखनीय अभिनेत्री बन गईं। आशाजी का जन्म आज ही के दिन 2 अक्टूबर, 1942 को बेंगलूर में एक गुजराती परिवार में हुआ था। उन्होने पं. गोपीकृष्ण तथा पं. बिरजू महाराज से भरत नाट्यम में कुशलता प्राप्त निर्देशक विमल रॉय की नजर नृत्य करती आशा पर पड़ी और उन्होंने फिल्म बाप-बेटी में आशा को पेश किया था।

    इन पुरस्कारों और अवॉर्डों से नवाजा गया था
    आशा को 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया, 2001 में फिल्म फेयर लाइफ टाइम पुरस्कार और 2006 में अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया, वह  सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष रहीं।

    यह थी आशा की सुपर-डुपर हिट फिल्में
    मैं तुलसी तेरे आंगन की, दो बदन और चिराग, कटी पतंग,  हम तो चले परदेस, बंटवारा, प्रोफेसर की पड़ोसन घर की इज्जत, जिद्दी, मेरे सनम,  तीसरी मंजिल, लव इन टोक्यो, आये दिन बहार के, उपकार, महल, कन्यादान  आया सावन झूम के आदि।

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