नई दिल्ली : वक्फ संशोधन बिल (Wakf Amendment Bill) पर गुरुवार को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच काफी तीखी बहस हुई। बीजेपी (BJP) और विपक्षी दलों के सांसद आमने-सामने आ गए। गरमागरमी इतनी बढ़ गई कि जेपीसी चेयरमैन और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) को हस्तक्षेप करना पड़ा, तब जाकर सदस्य शांत हुए। विपक्षी सांसदों ने बिल लाए जाने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर इसकी जरूरत ही क्या थी।
अफसरों ने वक्फ बिल पर दिया प्रेजेंटेशन
मीटिंग में शहरी विकास, सड़क परिवहन के सेक्रटरी और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन समेत सरकार के तमाम बड़े अफसरों ने संयुक्त संसदीय समिति के सामने वक्फ संशोधन बिल को लेकर प्रेजेंटेशन दिया। विपक्ष ने अफसरों को सिर्फ सरकार की भाषा ने बोलने और तटस्थ रहने की नसीहत भी दी। हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है मीटिंग में सत्ता पक्ष ने साफ किया कि वह ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वक्फ की संपत्ति का इस्तेमाल सिर्फ धार्मिक और लोककल्याणकारी उद्देश्यों के लिए हो न कि व्यक्तिगत हितों के लिए। इस दौरान अधिकारियों ने ये भी बताया कि दिल्ली में 200 सरकारी संपत्तियों पर वक्फ ने दावा ठोक रखा है।
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विपक्षी सदस्यों ने अफसरों को दी नसीहत
बैठक में विपक्षी सांसदों ने वक्फ संशोधन बिल पर सरकार को घेरा। विपक्ष का आरोप है कि अफसर बिल पर अपनी राय रखने की बजाय सरकार की बातों को ही दोहरा रहे हैं। BJP सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली संयुक्त समिति की बैठक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वक्फ संपत्तियों और सड़क परिवहन और रेलवे मंत्रालयों से जुड़ी जमीन के बारे में जानकारी दी गई। शहरी विकास और सड़क परिवहन सचिव अनुराग जैन, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश गौतम, रेलवे बोर्ड के सदस्य (इंफ्रास्ट्रक्चर) अनिल कुमार खंडेलवाल और संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों ने जेपीसी को बिल के बारे में जानकारी दी।
बीजेपी और विपक्षी सांसदों में गरमागरमी
बैठक में BJP और विपक्षी सांसदों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई, जिसमें कल्याण बनर्जी (TMC) और संजय सिंह (AAP) भी शामिल थे। गरमागरमी इतनी बढ़ गई कि समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को बीच में आकर मामला शांत कराना पड़ा। मंत्रालयों का तर्क था कि वक्फ संशोधन बिल से उन्हें सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण हटाने और विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी। इस पर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि अगर कोई संपत्ति गलत तरीके से वक्फ के रूप में अधिसूचित की गई है, तो मौजूदा कानूनों में इसे चुनौती देने का प्रावधान है। सरकार यह कहने की कोशिश कर रही है कि अगर वह ऐसी किसी भी संपत्ति पर दावा करती है तो कोई सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।
सूत्रों के हवाले से बताया है कि बैठक के दौरान उस समय हंगामा मच गया जब शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारी ब्रिटिश शासन द्वारा की गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर सदस्यों के सवालों का जवाब नहीं दे सके। समिति के एक विपक्षी सदस्य ने दावा किया, ‘कुछ जानकारी को दबाने की कोशिश की गई है।’
ब्रिटिश राज के दौरान हुए भूमि अधिग्रहण पर भी हुई चर्चा
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि मंत्रालय विधेयक पर स्वतंत्र दृष्टिकोण नहीं रख रहे हैं और केवल सरकार की बातों को मान रहे हैं। विपक्षी सांसदों ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि मंत्रालयों को विधेयक पर सरकार का रुख दोहराने के लिए कहा गया है।’ बैठक में कुछ लोगों ने ब्रिटिश शासन के दौरान हुई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के बारे में भी सवाल उठाए। विपक्ष के एक सांसद ने कहा, ‘ब्रिटिश राज के दौरान हुई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में कई खामियां थीं। ऐसी कई संपत्तियां हैं जिन्हें गलत तरीके से सरकारी घोषित कर दिया गया था।’
‘शत्रु संपत्तियों पर भी वक्फ बोर्ड ने ठोक रखा है दावा’
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी सदस्यों ने मंत्रालयों के अधिकारियों से पूछा कि आखिर बिल की जरूरत क्या है। अगर वक्फ ने कहीं कुछ गलत दावा किया है तो आज भी अदालतों से असली हकदार के पक्ष में फैसले होते ही है तो इस बिल को क्या जरूरत है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के निशिकांत दुबे ने कहा कि सरकार ये सुनिश्चित करना चाहती है कि वक्फ की संपत्तियों का इस्तेमाल सिर्फ धार्मिक और कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए किया जाए न कि व्यक्ति फायदे के लिए। उन्होंने ये भी कहा कि वक्फ ने तमाम उन संपत्तियों पर भी दावा कर रखा है जो वास्तव में शत्रु संपत्ति हैं।
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