उज्जैन। शहरी क्षेत्र के करीब आधा दर्जन थाने सालों पुराने जर्जर भवनों में चल रहे है। कुछ थानों में जगह की कमी है। इनमें सुधार या नए निर्माण के काम 12 साल में एक बार सिर्फ सिंहस्थ के वक्त ही हो पाते है। बाकी के 11 साल पुलिस थाना भवनों में नए निर्माण तो दूर छोटे मोटे सुधार कार्य तक नहीं कराए जाते। उल्लेखनीय है कि जिले के शहरी और देहात क्षेत्रों में कुल 32 पुलिस थाने है। सभी क्षेत्र के 16 थानों में आधा दर्जन के लगभग थाने ऐसे हैं, जो वर्षों पुराने भवनों में संचालित हो रहे है। इनमें से कुछ थाने जो जर्जर तो है ही साथ ही उनमें जगह की भी कमी है। कई थानों में तो स्थान अभाव के कारण अमले को ठीक से बैठने की जगह भी नहीं है। इसके चलते ऐसे थानों में कंप्यूटर रखना भी मुश्किल हो रहा है।
दो किराए के भवनों में चल रहे हैं थाने
जर्जर भवन तथा स्थान अभाव की समस्या के अलावा कई थानों में अन्य परेशानियाँ भी है। उदाहरण के लिए नीलगंगा तथा चिमनगंज मंडी थानों में जप्त की गई अवैध शराब के ढेर लग गए है। इन दो थानों में शराब से कमरे भर गए है। इसका निदान नहीं होने से जगह घिरी हुई है। इधर पिछले साल शहर में 2 नए थाने शुरू किए गए। इनमें से एक पंवासा थाना जो मक्सी रोड पर है जबकि दूसरा चिंतामन गणेश थाना। यह दो थाने किराए के भवनों में चलाए जा रहे हैं। इन दोनों थानों में पकड़े गए आरोपियों को कोर्ट में पेश करने से पहले रखना हेतु लॉकअप तक की व्यवस्था नहीं है। रात में मुलजिमों को यहां से दूसरे थाने ले जाना पड़ता है।
सिंहस्थ में जारी होती है लाखों की राशि
उज्जैन में प्रत्येक 12 वर्षों में सिंहस्थ मेले का आयोजन होता है। उस दौरान राज्य शासन विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए करीब-करीब हर विभाग को लाखों की राशि जारी करता है। पिछले सिंहस्थ में भी पुलिस विभाग को लाखों की राशि शासन ने दी थी। उस दौरान पुलिस लाइन में नए बैरक सहित कई नव निर्माण कराए गए थे। कुछ थानों का भी इस राशि से कायाकल्प किया गया था। अब शेष रह गए जर्जर थानों को अगले सिंहस्थ 2028 तक इंतजार करना होगा।
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