नई दिल्ली: मजबूत लोकतंत्र (Democracy) के लिए सभी मतदाताओं (voters) को वोट जरूर डालना चाहिए. मतदान की ताकत हमें हमारे संविधान (Constitution) से मिलती है और यह सभी भारतीय नागरिक (Indian citizen) का संवैधानिक अधिकार है. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि आज भी देश के कई इलाके ऐसे हैं जहां कभी मतदान ही नहीं हुआ. यहां चुनाव तो जरूर होते थे और तमाम दल अपने-अपने प्रत्याशी भी खड़े करते थे, लेकिन वोटरों ने कभी भी घर से निकलकर वोट नहीं डाला. इसकी कई वजह हो सकती हैं. लेकिन अब इन इलाकों में पहली बार मतदान की व्यवस्था की जा रही है.
झारखंड (Jharkhand) के सिंहभूम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र (Singhbhum Lok Sabha constituency) में माओवाद से प्रभावित रहे कई अंदरूनी इलाकों में 13 मई को पहली बार या दशकों बाद मतदान होगा. वोटिंग के लिए मतदान कर्मियों और सामग्री को हेलीकॉप्टर के जरिए इन स्थानों पर उतारा जाएगा ताकि एशिया के सबसे घने ‘साल’ जंगल सारंडा में रहने वाले लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके. चुनावकर्मी दूरस्थ स्थानों पर 118 बूथ स्थापित करेंगे.
पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त सह जिला निर्वाचन अधिकारी कुलदीप चौधरी ने ‘पीटीआई’ को बताया कि प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि कोई भी मतदाता छूट न जाए. प्रशासन ने ऐसे कई क्षेत्रों की पहचान की है जहां पहली बार या लगभग दो दशक के बाद मतदान होगा क्योंकि ये स्थान माओवादी उग्रवाद से बुरी तरह प्रभावित थे. नुगडी के मिडिल स्कूल और बोरेरो के मध्य विद्यालय जैसे मतदान केंद्रों पर पहली बार मतदान होगा.
कुलदीप चौधरी ने बताया कि हवाई मार्ग से कर्मियों और सामग्री पहुंचाने के लिए रोबोकेरा, बिंज, थलकोबाद, जराइकेला, रोआम, रेंगराहातु, हंसाबेड़ा और छोटानागरा जैसे दुर्गम स्थानों में 118 बूथ को चिह्नित किया गया है. कुछ क्षेत्रों में मतदान दलों को चार-पांच किलोमीटर पैदल चलना होगा. उन्होंने बताया कि मतदान दल हेलीकॉप्टर के अलावा ट्रेन और सड़कों से भी यात्रा करेंगे और ट्रेन के जरिए 121 दल भेजे जाएंगे.
उपायुक्त ने बताया कि निर्वाचन क्षेत्र में 62 से अधिक मतदाताओं की आयु 100 वर्ष से अधिक हैं. इन 62 मतदाताओं और 85 वर्ष से अधिक आयु के 3,909 मतदाताओं के अलावा 13,703 दिव्यांगजन के लिए हमने यह सुनिश्चित किया है कि उन्हें घर पर मतदान का विकल्प मिले. स्थिति में सुधार के बावजूद पश्चिमी सिंहभूम देश में वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में से एक बना हुआ है.
पिछले साल यहां माओवाद संबंधी 46 घटनाएं हुईं, जिनमें 22 लोगों की मौत हुई. सिंहभूम अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है और इसमें 14.32 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 7.27 लाख महिलाएं हैं. सिंहभूम सीट से भारतीय जनता पार्टी ने गीता कोड़ा को मैदान में उतारा है. गीता कोड़ा यहां से कांग्रेस की सांसद हैं और हाल ही में उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली.
सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीट आती हैं. इनमें पांच सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा है. एक सीट जगन्नाथपुर विधानसभा सीट पर सोनाराम सिंकू कांग्रेसी विधायक हैं. सिंहभूम लोकसभा सीट पर किसी एक पार्टी का कभी कब्जा नहीं रहा है. बारी-बारी से सभी पार्टियों का यहां प्रतिनिधित्व रहा है. गीता कोड़ा से पहले 2014 के चुनाव में बीजेपी के लक्ष्मण गिलुवा ने जीत दर्ज की थी. लक्ष्मण से पहले मधु कोड़ा यहां से निर्दलीय सांसद थे.
झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों के लिए मतदान चार चरणों में 13, 20, 25 मई और एक जून को होगा. पिछले चुनाव में बीजेपी ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के हिस्से में एक-एक सीट आई थी.
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