नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (lok sabha elections) के लिए पांच चरणों की वोटिंग हो चुकी है. अभी दो चरणों के मतदान बाकी हैं. इसके बाद 4 जून को रिजल्ट आएंगे. लोकसभा चुनाव को लेकर जारी सियासी गर्मी के बीच चुनाव आयोग (election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट (supreme court) को बताया है कि आखिर देरी से वोटिंग के डेटा क्यों जारी हो रहे हैं. चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पोलिंग स्टेशन वाइज यानी मतदान केंद्र वार डेटा (data) जारी करने से अराजकता फैल जाएगी. निर्वाचन आयोग ने अदालत से यह भी कहा कि मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है.
दरअसल, चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मतदान केंद्र-वार मतदान प्रतिशत डेटा के ‘अविवेकपूर्ण खुलासे’ और इसे वेबसाइट पर पोस्ट करने से चुनावी मशीनरी में अराजकता फैल जाएगी, जो मौजूदा लोकसभा चुनाव में जुटी है. चुनाव आयोग ने कहा कि एक मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. इससे पूरे चुनावी तंत्र में अराजकता फैल सकती है क्योंकि इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है.
चुनाव आयोग ने दिया जवाब
चुनाव आयोग ने इस आरोप को भी गलत और भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया कि लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण में मतदान के दिन जारी किए गए आंकड़ों और बाद में दोनों चरणों में से प्रत्येक के लिए जारी प्रेस विज्ञप्ति में ‘5-6 प्रतिशत’ की वृद्धि देखी गई. चुनाव आयोग ने एक गैर सरकारी संगठन की याचिका के जवाब में दायर एक हलफनामे में यह बात कही. याचिका में चुनाव आयोग को लोकसभा के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटे में वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार आंकड़े अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
चुनाव आयोग ने दिया 2019 का हवाला
चुनाव आयोग ने 225 पेज के हलफनामे में कहा, ‘अगर याचिकाकर्ता का अनुरोध स्वीकार किया जाता है तो यह न केवल कानूनी रूप से प्रतिकूल होगा बल्कि इससे चुनावी मशीनरी में भी अराजकता पैदा होगी, जो पहले ही लोकसभा चुनाव में जुटी है.’ चुनाव आयोग ने कहा कि 2019 के चुनाव में भी मतदान आंकड़ों में 2 से 3 फीसदी का अंतर रहा है. इसके लिए आयोग ने 2019 का पूरा डेटा जारी किया है.
किसकी थी याचिका
चुनाव आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ता नई-नई आशंकाएं जता कर मतदाता को भ्रमित करना चाहता है. मतदान का असल आंकड़ा कई तरह के वेरिफिकेशन के बाद आता है. यह पहले भी बदलता रहा है. चुनाव आयोग ने कहा कि मतदान के दिन ही फॉर्म 17C की कॉपी हर प्रत्याशी के एजेंट को दे दी जाती है. इसे सार्वजनिक रूप से वेबसाइट पर डालना संभव नहीं है. उसका दुरुपयोग हो सकता है. बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने यह याचिका दायर की है. 17 मई की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को अपना जवाब दाखिल करने को कहा था.
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