मुंबई: पिछले कारोबारी सत्र में भारी बिकवाली के बाद अब कल से शेयर बाजार (Stock Market) फिर से नई शुरुआत करने के लिए तैयार रहेंगे. लेकिन निवेशकों के मन में बड़ सवाल यह है कि गिरावट का ये सिलसिला क्या अगले हफ्ते भी जारी रहेगा और कौन-से ऐसे फैक्टर्स होंगे जो मार्केट की चाल को प्रभावित करेंगे.
विश्लेषकों के अनुसार, ग्लोबल संकेत और चीन में कोविड महामारी की स्थिति (Corona New Variant) इस सप्ताह शेयर बाजारों की चाल तय करेंगे. इसके अलावा गुरुवार को फ्यूचर एंड ऑप्शन मार्केट की दिसंबर मंथली एक्सपायरी होने के चलते बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है.
विश्लेषकों के अनुसार चीन और कुछ अन्य देशों में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच पिछले सप्ताह निवेशकों की धारणा बदलने से बाजार में कमजोर रही. इसके अलावा, अमेरिका के मजबूत वृद्धि आंकड़ों ने फेडरल रिजर्व के अपने आक्रामक रुख को जारी रखने की गुंजाइश दी है. इस वजह से भी मार्केट टूटा है.
मंथली एक्सपायरी के कारण वॉलेटिलिटी बढ़ेगी
पिछले सप्ताह सेंसेक्स 1,492.52 अंक या 2.43 प्रतिशत टूटा, जबकि निफ्टी 462.20 अंक की गिरावट के साथ 2.52 प्रतिशत टूट गया है. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड में टेक्निकल रिसर्च के वाइस प्रेसीडेंट अजीत मिश्रा ने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा, ”दिसंबर महीने के अनुबंधों की निर्धारित डेरिवेटिव समाप्ति प्रतिभागियों को व्यस्त रखेगी. इसके अलावा कोविड संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी से अस्थिरता बढ़ेगी.”
रुपया, क्रूड प्राइस और FII की खरीदारी भी अहम फैक्टर
अगले सप्ताह रुपये की चाल, ब्रेंट क्रूड तेल और विदेशी निवेशकों के रुख पर भी निवेशकों की नजर रहेगी. कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, ”चीन में कोविड संक्रमण में बढ़ोतरी और मंदी की आशंका से वैश्विक इक्विटी बाजार प्रभावित होंगे.” जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने का अनुमान है, क्योंकि निवेशक चीन में कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर नजर रख रहे हैं.
बता दें कि पिछले सप्ताह कोरोना के नए वेरिएंट और कमजोर वैश्विक संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त उथल-पुथल देखने को मिली. इसके चलते निवेशकों को तगड़ा नुकसान हुआ. 14 दिसंबर को बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 291.25 करोड़ था, जो शुक्रवार को घटकर 272.29 लाख करोड़ पर आ गया. इस तरह कंपनियों के कुल मार्केट कैप में करीब 19 लाख करोड़ की गिरावट आई.
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