पार्ल। भारतीय टीम को दक्षिण अफ्रीका ने तीन टेस्ट की सीरीज के बाद तीन वनडे मैचों की सीरीज में भी हरा दिया है। टीम इंडिया नौ साल बाद अफ्रीकी जमीन पर वनडे सीरीज हारी है। पिछली बार 2013 में उसे शिकस्त मिली थी। केएल राहुल की कप्तानी और राहुल द्रविड़ की कोचिंग में मिली इस हार से प्रशंसक हैरान हैं। एक अनुभवी टीम अपेक्षाकृत कमजोर टीम के सामने पूरी तरह नतमस्तक हो गई।
इस हार के पीछे कई कारणों पर चर्चा हो रही है। कुछ क्रिकेट विशेषज्ञ कह रहे हैं कि द्रविड़ टीम के साथ संयोजन नहीं बना पा रहे हैं। वहीं, कुछ का मानना है कि विराट कोहली और बीसीसीआई विवाद ने टीम के प्रदर्शन पर काफी असर डाला है। खिलाड़ियों में असमंजस की स्थिति है और वे योजनाओं को सही से नहीं समझ पा रहे हैं।
आइए इस हार के कुछ बड़े कारणों को जानते हैं:
राहुल द्रविड़ और केएल राहुल नहीं बना पाए सही योजना : दोनों वनडे मैचों को देखने के बाद यह साफ हो गया है कि कप्तान राहुल और कोच द्रविड़ सही योजना बनाने में सफल नहीं हुए हैं। उन्होंने ऋतुराज गायकवाड़ और सूर्यकुमार यादव जैसे इन-फॉर्म बल्लेबाजों को टीम से बाहर रखा। श्रेयस अय्यर और वेंकटेश पहले मैच फेल रहे थे। ऐसे में द्रविड़ और राहुल को पहले मैच के बाद ही कड़े फैसले लेने चाहिए थे।
यह पांच मैचों की सीरीज नहीं थी कि आपको ज्यादा मौके मिलेंगे। उन्हें दूसरे वनडे में प्लेइंग इलेवन में बदलाव करना चाहिए था। इसके अलावा अफ्रीकी टीम के कप्तान तेम्बा बावुमा, रसी वान डर डुसेन जैसे इन-फॉर्म बल्लेबाजों के खिलाफ टीम सही योजना नहीं बना सकी। एक बार फिर से दोनों ने टीम इंडिया के गेंदबाजों को परेशान किया। इस मैच में यानेमन मलान और क्विंटन डीकॉक के सामने भी भारतीय गेंदबाज असरदार नहीं दिखे।
विराट-बीसीसीआई विवाद ने प्रदर्शन पर डाला असर : दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जाने से ठीक पहले विराट कोहली को वनडे की कप्तानी से हटा दिया। बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में दावा किया था कि टी20 कप्तानी छोड़ने से पहले उन्होंने कोहली को समझाया था, लेकिन वे नहीं माने। गांगुली के इस दावे को विराट ने प्रेस कांफ्रेंस में खारिज कर दिया। इसके बाद ऐसा लगा कि कप्तान और बोर्ड आमने-सामने है। कोहली ने फिर टेस्ट की कप्तानी छोड़ दी। खिलाड़ियों में इस पूरे प्रकरण से असुरक्षा की भावना पैदा हुई। उनका ध्यान मैदान में खेलने से ज्यादा मैदान के बाहर के खेल पर रहा।
कप्तानी को लेकर असमंजस की स्थिति : भारतीय टीम पिछले छह महीनों से स्थायी नहीं रही है। लगातार बदलाव हो रहे हैं। यहां तक कि द्रविड़ को कोच बने करीब सात महीने हो गए। उन्होंने जुलाई 2021 में श्रीलंका के खिलाफ पहली बार कोचिंग दी थी। उस समय शिखर धवन कप्तान थे। फिर अक्टूबर में उन्हें नियमित कोच बनाया गया। नवंबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 में रोहित शर्मा तो टेस्ट में अजिंक्य रहाणे और विराट कोहली कप्तान थे। अभी टीम की कमान केएल राहुल के हाथों में है। ऐसे में खिलाड़ी से लेकर कोच तक लगातार कप्तान बदलने से सभी परेशान हैं। रोहित शर्मा की वापसी के बाद ही इस पर विराम लगेगा।
श्रेयस अय्यर और वेंकटेश अय्यर फेल: पहले वनडे में शानदार बल्लेबाजी करने वाले शिखर धवन और विराट कोहली दूसरे वनडे में नहीं चले। ऋषभ पंत और केएल राहुल ने अच्छी साझेदारी की, लेकिन उसका फायदा उठाने में मध्यक्रम के बल्लेबाज श्रेयस अय्यर और वेंकटेश अय्यर नाकाम रहे। अय्यर ने भले ही टेस्ट मैचों में न्यूजीलैंड के खिलाफ रन बनाए, लेकिन वनडे में उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई स्कूल स्तर का खिलाड़ी बल्लेबाजी कर रहा हो। उसी तरह वेंकटेश अय्यर को देखने पर लगा कि वे वनडे मैचों के लिए अभी तैयार नहीं हैं।
अनुभवी गेंदबाज फ्लॉप: लगातार दूसरे मैच में भारतीय गेंदबाजों ने निराश किया। जसप्रीत बुमराह और युजवेंद्र चहल को छोड़कर कोई भी गेंदबाज इस मैच में लय में नहीं दिखा। भुवनेश्वर ने तो आठ ओवरों में 67 रन दे दिए। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पांचवीं बार किसी वनडे में बिना विकेट लिए 60 रन से ज्यादा दिए हैं। किसी एक टीम के खिलाफ पांच वनडे में बिना विकेट लिए 60 से ज्यादा रन देने वाले गेंदबाजों में वे पहले स्थान पर आ गए। उन्होंने श्रीलंका के नुआन कुलशेखरा के रिकॉर्ड को तोड़ा।
कुलशेखरा ने भारत के खिलाफ चार वनडे में बिना विकेट लिए 60 से ज्यादा रन दिए थे। भुवनेश्वर के अलावा रविचंद्रन अश्विन और शार्दुल ठाकुर ने भी गेंदबाजी में निराश किया। अश्विन 10 ओवर में 68 और शार्दुल ने पांच ओवर में 35 रन दिए। वनडे टीम में अश्विन की वापसी 2017 के बाद हुई है। वे पहले मैच में भी बेअसर साबित हुए थे और सिर्फ एक विकेट ले सके थे। अगर इसी तरह निराशाजनक प्रदर्शन करते रहे तो एक फिर वे टीम से बाहर हो सकते हैं।
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