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    बारिश में बढ़ रहा वायरल संक्रमण

  • August 12, 2022

    • ओपीडी में हर तीसरा मरीज सर्दी-जुकाम और बुखार का

    भोपाल। मौसम में नमी की वजह से वायरस, बैक्टीरिया और फंगस से होने वाली बीमारियां बढ़ गई हैं। शहर के प्रमुख अस्पताल एम्स, जेपी और हमीदिया अस्पताल में मेडिसिन, नाक, कान एवं गला और शिशु रोग विभाग की ओपीडी में आने वाला हर तीसरा मरीज सर्दी, जुकाम, बुखार, पेट दर्द और दस्त से पीडि़त होता है। इनमें करीब 10 प्रतिशत मरीजों को भर्ती करने की जरूरत भी पड़ रही है। हमीदिया अस्पताल के नाक, कान एवं गला रोग विभाग के सह प्राध्यापक डा. यशवीर जेके ने बताया कि वर्षा का मौसम शुरू होने के साथ ही वायरल फीवर के मरीज अन्य दिनों के मुकाबले बढ़ गए थे, लेकिन अब पहले के मुकाबले इनकी संख्या हफ्ते भर से दोगुनी हो गई है। उन्होंने बताया कि सर्दी, जुकाम, बुखार और पेटदर्द वाले मरीजों में करीब 20 प्रतिशत गंध और स्वाद नहीं आने की शिकायत भी कर रहे हैं। उन्हें कोरोना की जांच कराने की सलाह भी दी जा रही है। इनमें कुछ कराते हैं तो कुछ नहीं कराते। उन्होंने बताया वायरल फीवर को ठीक होने में करीब पांच दिन लग रहे हैं। हालांकि, मरीज गंभीर नहीं हो रहे हैं। एलएन मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के सह प्राध्यापक डा. आदर्श वाजपेयी ने बताया कि इस समय वायरल फीवर के साथ दस्त के मरीज भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं। बच्चों में यह दिक्कत ज्यादा देखने को मिल रही है। यह कोरोना के लक्षण भी हो सकते हैं, लेकिन मरीज जांच ही नहीं करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हफ्ते भर से ओपीडी में मरीजों की संख्या करीब 40 प्रतिशत बढ़ गई है।


    अपने से दवाएं खरीदकर खा रहे हैं मरीज
    हमीदिया अस्पताल के छाती व श्वास रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. लोकेन्द्र दवे ने कहा कि उनकी ओपीडी में आने वाले मरीजों में करीब आधे ऐसे होते हैं, जो खुद मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक दवाएं खरीदकर खा लेते हैं। जब फायदा नहीं होता और तकलीफ बढऩे लगती है तो चिकित्सक के पास पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि गले में खिंचाव के साथ दर्द और बुखार हो तो डाक्टर को दिखाने में देर नहीं करना चाहिए। जेपी अस्पताल के आकस्मिक चिकित्सा अधिकारी डा. जेके चौरसिया ने बताया कि ओपीडी का समय शाम चार बजे खत्म होने के बाद सर्दी-जुकाम और बुखार वाले मरीज इमरजेंसी में आ जाते हैं। इन मरीजों में कोरोना के लक्षण दिखने के बाद भी वह जांच कराने को तैयार नहीं होते। दूसरी बात यह कि मरीज आइसोलेशन की परवाह नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कई मरीज हाई रिस्क वाले होते हैं, जिनके लिए कोरोना की जांच जरूरी होती है।

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