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    बिहार में बच्चों की जान ले रहा वायरल फीवर, अब तक 13 की मौत

  • September 12, 2021

    पटना । बिहार (Bihar) में इस समय वायरल बुखार (viral fever) का प्रकोप बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग (health Department) ने बच्चों (Children) में होने वाले बुखार को लेकर सभी जिलों को अलर्ट (Alert) कर दिया है। अब तक इस वायरल बुखार की चपेट में आये 395 बच्चों में से 13 बच्चों ने दम तोड़ दिया है।

    बिहार स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक शनिवार को एक ही दिन में तीन बच्चों की मौत हो गई। पटना एम्स के डॉक्टर और कर्मी भी संक्रमण की चपेट में हैं। आंकड़े के मुताबिक वायरल बुखार से पीड़ित 395 बच्चों की भर्ती की गई। इसमें 13 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 295 को स्वस्थ होने के बाद से छुट्टी दे दी गई। एनएमसीएच में वायरल संक्रमण से एक बच्चे की मौत हो गई. सबलपुर के रहने वाले चार साल के बच्चे को गुरुवार को भर्ती कराया गया था, जिसने दो दिन बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

    एनएमसीएच पटना के अधीक्षक और शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार सिंह ने रविवार को बताया कि वायरल निमोनिया और बुखार से पीड़ित 18 बच्चों का वर्तमान में इलाज चल रहा है। अब संक्रमण का प्रकोप कम हो रहा है। पिछले 24 घंटे में इससे पीड़ित मात्र दो ही मरीज भर्ती हुए हैं।


    बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में शनिवार को दो बच्चों की मौत गई। इनमें एक बच्चा जेई और दूसरा बच्चा चमकी बुखार से पीड़ित था। जेई (जापानी इंसेफलाइटिस) से पीड़ित 11 साल का प्रदीप कुमार पश्चिम चंपारण के रामनगर का रहने वाला था। उसे तीन सितंबर को भर्ती कराया गया था। इसके अलावा मोतिहारी के रहने वाले पांच साल के निरहू कुमार की भी मौत एसकेएमसीएच में हो गई। उसे 10 सितंबर को पीकू में दोबारा भर्ती कराया गया था।

    एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ बाबू साहेब झा ने बताया कि जेई पीड़ित बच्चे की मौत हो गई है। हालांकि, दूसरे बच्चे की मौत के बारे में उन्होंने कोई भी जानकारी देने से इनकार किया। उन्होंने बताया कि जेई पीड़ित बच्चे को बेतिया मेडिकल कॉलेज से एसकेएमसीएच रेफर किया गया था। दो साल बाद एसकेएमसीएच में जेई का मरीज आया था।

    राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ स्थित एम्स तक संक्रमण पहुंचने की खबर सामने आ रही है। एम्स के ट्रामा इंचार्ज डॉक्टर अनिल समेत कई डॉक्टर और कर्मी वायरल फीवर की चपेट में आ गए हैं। डॉ. अनिल के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद से लोग फीवर होने से डर रहे हैं। हमलोग भी डरे हुए हैं। एम्स के 30 प्रतिशत डॉक्टर और कर्मी वायरल फीवर से पीड़ित हैं।

    उन्होंने बताया कि वायरल फीवर तीन दिनों में नहीं ठीक हो तो तत्काल डॉक्टर से दिखाने की जरूरत है। खासकर बच्चों के मामले में कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए। बच्चे को जैसे फीवर आये अच्छे डॉक्टर से दिखाना चाहिए। वायरल फीवर लक्षण दिखे तो एंटी एलर्जी की दवा लेनी चाहिए। गर्म पानी पीएं और गहरी नींद लें।

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