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    स्थानकवासी जैन समाज में विराजित प्रकाशमुनिजी ने कहा….

  • April 29, 2022

    • धर्म हमें जीवन जीने की कला सिखाता है.. इसी से हमें मोक्ष का मार्ग मिलता है

    नागदा। लोगों को बेवजह ज्ञान देने की बजाए इसे खुद आत्मसात करें तो जीवन में अशांति दूर हो जाएगी और शांति से जीवन जीने की कला आ जाएगी, क्योंकि जीवन में शांति मिलना बहुत कठिन है। यह बात महावीर भवन में विराजित गुरुदेव प्रकाशमुनिजी ने गुरुवार को धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा महापुरूषों का जीवनकाल अपने लिए नहीं होता है वे तो मानव मात्र के कल्याण के लिए अपना संपूर्ण जीवन का त्याग कर देते है। क्योंकि धर्ममय जीना अलग हैं और धर्म करना अलग। जीवन के समभाव आवश्यक है धर्म हमें जीवन जीने की कला सीखाता है। यहीं कला हमें मोक्ष का मार्ग दिखाती है। हर चीज का उपयोग लिमिट में अच्छा लगता है। इससे बाहर बुराईयों को जन्म देता है।



    महासती रमणीककुंवर मसा ने कहा कि जो आत्मा धर्म के साथ जुड़ती है वहीं पुण्य कमा सकती है। जो आत्मा जागृत होती है वही समय की कीमत समझ सकती है। मीडिया प्रभारी महेंद्र कांठेड़, नितिन बुड़ावनवाला ने बातया तपस्या की कड़ी में रमेशचंद्र तांतेड़ के 4 उपवास की तपस्या चल रही है। कमल नयन चपलोत, चंदनमल संघवी के वर्षीतप की तपस्या के उपलक्ष्य में परिवार की ओर से रात 8 बजे जीवदया मानव सेवालय हाल में चौबीसी का आयोजन किया गया। संचालन अरविंद नाहर ने किया। आभार श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाशचंद्र जैन लुणावत, चातुर्मास समिति अध्यक्ष सतीष जैन सांवेरवाला ने माना।

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